सोने की कीमतों में लगातार वृद्धि ने वैश्विक और राष्ट्रीय आर्थिक मोर्चे पर काफी ध्यान आकर्षित किया है। भारत, जो सदियों से सोने का सबसे बड़ा उपभोक्ता रहा है, अब दुनिया के सबसे बड़े सोने आयात करने वाले देशों में पाँचवें स्थान पर है। 2023-24 में भारत ने लगभग 3 लाख करोड़ रुपये (36 बिलियन डॉलर) का सोना आयात किया, जो दर्शाता है कि भारतीय समाज में सोने की अहमियत सिर्फ आभूषण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आर्थिक सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण स्तंभ भी है।सोने को हमेशा से भारतीय परिप्रेक्ष्य में सबसे सुरक्षित निवेश विकल्प माना जाता रहा है, और इंडियन बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (IBJA) के अनुसार, पिछले दो वर्षों में सोने की कीमतों में लगभग 25,000 रुपये प्रति 10 ग्राम की वृद्धि देखी गई है। इस लेख में हम सोने की बढ़ती कीमतों के कारणों पर चर्चा करेंगे और यह जानेंगे कि किस तरह यह आर्थिक और सामाजिक मुद्दों, खासकर भारतीय शादियों और महिलाओं के लिए समस्याएं उत्पन्न कर रहा है।
सोने की कीमतों में बढ़ोतरी के प्रमुख कारण
1. वैश्विक भू-राजनीतिक संकट
रूस-यूक्रेन युद्ध और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में चल रहे राजनीतिक अस्थिरता ने वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता बढ़ाई है। निवेशक ऐसे समय में सुरक्षित निवेश की ओर रुख करते हैं, और सोना एक सदियों पुराना सुरक्षित निवेश विकल्प माना जाता है। इस अनिश्चितता के कारण सोने की मांग में वृद्धि होती है, जो कीमतों को ऊपर की ओर ले जाती है।
जब वैश्विक आर्थिक वातावरण अस्थिर होता है, तो सोने की कीमतें तेजी से बढ़ने लगती हैं। 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध ने इस अस्थिरता को और भी बढ़ाया, जिससे सोने की कीमतों में अप्रत्याशित वृद्धि देखी गई।
2. मुद्रास्फीति और कमजोर वैश्विक अर्थव्यवस्था
मुद्रास्फीति की बढ़ती दरें भी सोने की कीमतों में वृद्धि का एक बड़ा कारण हैं। जब मुद्रास्फीति दर अधिक होती है, तो सोने की कीमतें भी बढ़ती हैं क्योंकि निवेशक मुद्रास्फीति के प्रभाव से अपने धन की सुरक्षा के लिए सोने में निवेश करते हैं।
2023 के दौरान, दुनिया भर में बढ़ती मुद्रास्फीति दरों ने सोने को अधिक आकर्षक बना दिया, जिससे इसकी कीमत में भारी वृद्धि हुई।
3. डॉलर में कमजोरी
अमेरिकी डॉलर की कमजोरी भी सोने की कीमतों पर असर डालती है। जब डॉलर कमजोर होता है, तो सोने की कीमतें अधिक होती हैं क्योंकि सोना आमतौर पर डॉलर में मूल्यांकित होता है। डॉलर की कमजोरी से सोने की मांग बढ़ जाती है, जिससे कीमतों में इजाफा होता है।
4. भारत में सोने की सांस्कृतिक महत्वता
भारत में सोना केवल एक निवेश या धातु नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का हिस्सा है। भारतीय शादियों में सोने की भारी मांग होती है, क्योंकि सोना शुभ माना जाता है और इसका आदान-प्रदान पारंपरिक रूप से आर्थिक सुरक्षा और सामाजिक प्रतिष्ठा का प्रतीक है। विशेष रूप से शादियों के मौसम के दौरान सोने की मांग बढ़ जाती है, जिससे कीमतें और भी ऊपर जाती हैं।
भारतीय शादियों और महिलाओं पर असर
1. शादियों में सोने की भूमिका
भारत में शादियों में सोना बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह दहेज का एक अहम हिस्सा माना जाता है और सामाजिक प्रतिष्ठा का प्रतीक होता है। एक पारंपरिक भारतीय शादी में, वर पक्ष को सोने के आभूषण और अन्य कीमती वस्तुएं देना एक प्राचीन परंपरा है।
जैसे-जैसे सोने की कीमतें बढ़ रही हैं, वैसे-वैसे शादियों के खर्च में भी भारी इजाफा हो रहा है। यह स्थिति मध्यम और निम्न वर्गीय परिवारों के लिए विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण हो गई है, जिन्हें अपनी बेटियों की शादी के लिए सोना खरीदने के लिए कर्ज लेने तक की नौबत आ जाती है।
2. महिलाओं पर प्रभाव
भारत में सोना महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता और सुरक्षा का भी प्रतीक माना जाता है। महिलाएं अक्सर अपनी बचत को सोने के आभूषणों के रूप में संग्रहीत करती हैं, जिससे वे किसी भी संकट की स्थिति में वित्तीय सुरक्षा प्राप्त कर सकती हैं।
हालांकि, बढ़ती कीमतों के कारण सोने की खरीद अब आसान नहीं रही है, खासकर निम्न और मध्यम वर्ग के परिवारों के लिए। महिलाओं को अब सोने के आभूषण खरीदने के लिए अधिक समय और धन खर्च करना पड़ रहा है। इसके अलावा, जो महिलाएं अपने परिवार की वित्तीय योजना का हिस्सा नहीं हैं, उनके लिए यह संकट और बढ़ जाता है।
3. दहेज प्रथा और सामाजिक समस्याएं
सोने की बढ़ती कीमतों का प्रभाव दहेज प्रथा पर भी पड़ा है। भारत के कई हिस्सों में अभी भी दहेज प्रथा मौजूद है, जहां सोना एक प्रमुख हिस्सा होता है। सोने की बढ़ती कीमतों के कारण दहेज का खर्च भी बढ़ रहा है, जिससे कई परिवारों पर आर्थिक दबाव और बढ़ता जा रहा है। यह स्थिति महिलाओं के अधिकारों के प्रति समाज की उदासीनता को भी उजागर करती है।
सोने की बढ़ती कीमतें कई वैश्विक और घरेलू कारकों का परिणाम हैं, जिनमें भू-राजनीतिक संकट, मुद्रास्फीति, और सांस्कृतिक धारणाएं प्रमुख हैं। हालांकि, इसका सीधा प्रभाव भारतीय समाज के विभिन्न वर्गों पर पड़ रहा है, खासकर शादियों और महिलाओं के संदर्भ में। भारतीय परिवारों के लिए सोने की बढ़ती कीमतें एक आर्थिक चुनौती बन गई हैं, जबकि महिलाओं के लिए यह समस्या उनकी वित्तीय सुरक्षा और सामाजिक मान्यता से जुड़ी है। आवश्यकता इस बात की है कि समाज इस बढ़ती समस्या को समझे और वैकल्पिक निवेश विकल्पों की ओर बढ़े, जिससे समाज की आर्थिक स्थिति में संतुलन बना रहे और महिलाओं के अधिकार सुरक्षित रह सकें।
कृष्णा बारस्कर
krishnabaraskar@gmail.com
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