मैंने पूछा: देश में खाद्य वस्तुओं के भाव दिनों-दिन बढ़ रहे है..
वो बोले: हमने उससे मुक़ाबला करने का उपाय कर लिया है
मैंने पूछा: वो कैसे किया ?
वो बोले: हमने अपना वेतन 5 गुणा बढ़ा लिया है..
मैंने पूछा: पर देश में आम आदमी के लिए परिवार चलाना बहुत ही मुस्किल होता जा रहा है!
ओ बोले: थोड़ा अभ्यास करने दो आदत पड़ जायेगी..
मैंने पूछा: देश में खाद्य वस्तुओं का उत्पादन अच्छा होने पर भी कई लोग भूके मर रहे है!
ओ बोले: ओ मरने ना पाए उसके लिए 25 लाख मीट्रिक टन अनाज भेजा है..
मैंने पूछा: फिर भी वो क्यों मर रहे है?
ओ बोले: अब वो खाते नही है तो हम क्या करे?
मैंने पूछा: और बाकी अनाज का क्या हो रहा है?
ओ बोले: उसका खाद बनाया जा रहा है....
मैंने पूछा: उनके पास कितना अनाज पहुँच जायेगा..
ओ बोले: चिंता ना कीजिये जो अनाज बच जायेगा वो उन्हीं के पास जायेगा..
मैंने पूछा: ये इतना अनाज़ आप सड़ाकर फेंक क्यों रहे है?
ओ बोले: ताकि देश का किसान और अधिक उत्पादन करना सीखे..
मैंने पूछा: आप बेरोजगार युवावो के केरिअर के लिए क्या कर रहे है?
ओ बोले: उनके लिए हम नक्सली पोलिस विभाग को प्रोत्साहन दे रहे है..
मैंने पूछा: नक्सली बनने से क्या फायदा होगा?
ओ बोले: ओ बोले बनके तो देखो डबल फायदा होगा..
मैंने पूछा: मैंने पूछा डबल फायदा कैसे होगा ?
ओ बोले: नौकरी के समय नक्सली सरकार कि तनख्वा सेवानिव्रति पर हमारा पकेज मिलेगा..
मैंने पूछा: मैंने पूछा आप माननीय उच्चत्तम न्यायालय कि क्यों नही सुनते?
ओ बोले : हम मैडम के अलावा किसिके बाप कि नही सुनते..
(देश के मुखिया से हमारा काल्पनिक व्यंगात्मक साक्छात्कार है जी बस जो कुछ देखता हू महसूस करता हू ओ मन कि बात लिखना सीख रहा हू कोई गलती हो तो प्यार से कान पकडके सीखा देना, खुसी होगी)
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achchha hai sr aur sch bhi hai
arganikbhagyoday.blogspot.com
आपकी बातों से साफ़ लग रहा है की हमारा दोस्त राजनीति की गतिविधियों से खासे नाराज़ हैं, हो भी क्यु नहीं आखिर मेहेंगाई है की थमने का नाम ही नहीं ले रही उस पर इतनी सी प्रतिक्रिया तो शायद कम ही है इसपर तो जबरदस्त सवाल उठाना चाहिए हम आपकी बात से सहमत हैं दोस्त !
waaw bahut achhe Krishna jee..
lambe-lambe lekh padhne se achha hai
chote-chote wakyo me sara wakya samajh jawo..