‘‘सच्चाई-निर्भिकता, प्रेम-विनम्रता, विरोध-दबंगता, खुशी-दिल
से और विचार-स्वतंत्र अभिव्यक्त होने पर ही प्रभावी होते है’’
Powered by Blogger.
 

जीवन एक कला

2 comments
    जीवन का जीवन से परिचय ही हमे जीने की कला सिखाता है ! जिस तरह सारा समाज सारी शिक्षा  हमे तब तक सही राह  नहीं दिखा  सकती जब तक हमे जीवन को जीने का सही ज्ञान प्राप्त न हो जाये ! जीवन को सही से जीने के लिए मनुष्य के अन्दर सकारात्मक सोच का होना बहुत जरुरी है क्युकी  उसमे हर वो गुण हैं जेसे अच्छी सोच ,प्यार , क्षमा करोध ,बस उसे तो इन सुब का इस्तेमाल सही जगह पर करने की देर है ! अगर हम किसी से प्यार करते हैं तो वो भी सच्चे   दिल से करे ओर राह में कोई भी बाधा आये तो उससे भी न डरे और अगर किसी से  नफ़रत करते हैं तो वो भी खुल कर करे उसमे  भी कोई मिलावट नहीं होनी चाहिए हमे अपने सभी एहसासों को खुल कर जीना चाहिए और एक आज़ाद जीवन जीने की कला सीखनी चाहिए !                                                                                                                               आज का मानव न तो खुल कर अपनी भावनाओ को व्यक्त  कर पता है बल्कि उस पर मुखोटा चड़ा कर कुच्छ और ही प्रदर्शित करता है ! दिल कुच्छ और चाह रहा होता है और बहार से न चाहते हुए भी हम उसे अपना लेते हैं ! जिस वजह से हम अन्दर से भी परेशां  होते हैं और बहार से भी ! जेसे हम कही जा रहे हो और हमारे सामने से हमारा कोई परिचित मिल जाये हमारा दिल उसे पसंद नहीं करता पर भर से हमे उसे नमस्कार करना ही पड़ता है और उसके जाते ही हम उसे अपशब्द कहते हैं तो हम न चाहते हुए भी परेशानी झेलनी पड़ती है ! क्युकी  जो हमारा दिल कहता है वो हम दुनिया की वजह से कर नहीं पाते और वो सब करते चले जाते है जिसे दिल ने कभी चाह ही नहीं और झूठी जिंदगी जीते चले जाते हैं और अपनी आत्मा को सताते रहते हैं इस वजह से न उसे चेन से रहने देते हैं और न ही खुद रह पाते हैं !  इसलिए हमे दोहरी जिंदगी न जी कर इकहरी जिंदगी जीनी  चाहिए !                                                                                                                                                  जीवन जिओ तो  एसे जियो जो आपका अपना  दिल कहता है जो आपकी अपनी  आत्मा सविकारती हो ,दुसरो को दिखाने  के लिए जिए तो क्या जिए उसमे न हम अपने लिए कोई न्याय कर पाते हैं और न उनके लिए जिनकी वजह से हम एसा करते हैं क्युकी जीवन जीने का सही तरीका है उसे दोहरे मापदंड से नहीं एक ही तरह से जीना चाहिए ! जिससे हमारा जीवन हमे बंधन न लगे और हम इस जीवन का भरपूर आनद उठा सके और इसके हर पहलु को जी सके !  

2 Responses so far.

  1. Jyoti says:

    very beautiful thoughts.

 
स्वतंत्र विचार © 2013-14 DheTemplate.com & Main Blogger .

स्वतंत्र मीडिया समूह