आज में बहुत खुश हु की में अपनी प्रिये भाषा का वर्णन उसी की भाषा में करने जा रही हु ! मै सभी हिंदी भाषी प्रेमियों की तहेदिल से शुक्रगुजार हु की आप सब लोगो की कोशिशो की वजह से हम अपने विचारो को अपनी मात्रभाषा के रूप मै व्येकत कर प् रहे हैं ! जिसका हमे गर्व है की वो मूल [ जड़ ] जो कही दब गया था आज फिर से उठने की कोशिश करने लगा है और एक बड़ा वृक्ष बन कर सामने जरुर आएगा इसको बड़ने मै भले देर हो सकती है पर अगर हम सब मिलकर इसे सींचते रहे तो वो दिन दूर नहीं जब ये फल देना शुरू कर देगा और इसके मीठे-२ सवाद से हर कोई परिचित हो जायेगा !
कोई भी भाषा का ज्ञान होना अपने आप मै गलत बात नहीं है हम जितनी ज़यादा भाषा सीखे उतनी अच्छी बात है ,भाषा की जानकारी से ही हम एक दुसरे के विचारो को आपस मै बाँट सकते हैं ! जहाँ तक हिंदी भाषा का सवाल आता है तो एक भारतीय होने के नाते हमे इस पर गर्व होना चाहिए और हर भारतीय को इसका ज्ञान होना बहुत जरुरी है ! हम हिंदी भाषी होते हुए भी अपने देश मै इसका इस्तेमाल न करके दूसरी भाषा को बढावा देते रहे ? ये सब क्यु हुआ एसा सोच कर भी हमे शर्म आती है ! सबसे पहले हमे अपनी भाषा को सम्मान देना चाहिए उसके बाद दूसरी भाषा की जानकारी रखते हुए देश को आगे ले जाना चाहिए बात तो वही है पर उसके थोड़े से फेर बदल से हम अपने देश और भाषा दोनों का सम्मान कर सकते हैं ! हमारे देश मै ज्यादातर लोग गरीबी रेखा से नीचे के हैं ,जिन्हें दो वक़्त की रोटी न मिल प् रही हो वो नेताओ दवारा दिए गए येसे भाषण को केसे समझ पाएंगे जिस भाषा का दूर -२ तक कोई तालुख ही न हो ! भाषा संवेदनाओ को व्यक्त करने का माध्यम होता है और हमारी भाषा उसे बड़ी आसानी से समझा देती है , जब इतनी प्यारी भाषा हमारे पास है तो हमे किसी और भाषा को अपनाने की क्या जरुरत है हमे तो इसका सम्मान करना चाहिए ! पहले हमेशा दिल मै ये ख्याल आता था की क्या कभी इसे भी कोई स्थान मिल पायेगा या नहीं पर अब धीरे -२ ये एहसास होने लगा है की हमारी देश की जनता को भी इसकी एहमियत का पाता चलने लगा है तभी तो वो अपने घर की चार दीवारों मै मज़े ले -२ कर बोलने के पश्चात् अब सार्वजानिक स्थानों तथा बड़े -२ मंचो मै भी बेहिचक बोलने मै शर्म महसूस नहीं करते हैं आज हिंदी भाषा की मांग को देख कर लगता है की हमारा देश फिर से अपने संस्कारो की और रुख करने लगा है जिसे वो विदेशियों की भाषा बोलते -२ भूलने लगा था ! आजकल दफ्तर , बैंकिंग , मिडिया , अध्यापन के क्षेत्र मै इसकी मांग बढती जा रही है और जो युवावर्ग हिंदी प्रेमी हैं उनके अन्दर ख़ुशी की लहर दोड़ने लगी है !
आज हिंदी को सिखाने की ललक हमारे देश मै ही जोर नहीं पकड़ रही बल्कि विदेशी लोग भी हमारे देश की बहुरंगी सस्कृति को जानने के लिए हिंदी भाषा सिख रहे हैं ! संस्कृति के अलावा जो विदेशी कम्पनिया भारत मै अपने बाज़ार और कारोबार का विस्तार चाहती हैं वे भी अपने करमचारियो को हिंदी सिखने के लिए प्रेरित कर रही हैं इस तरह कई देश मै जेसे जापान , चीन , रूस , इंग्लैंड , और कोरिया अदि मै हिंदी पड़ने पड़ाने का काम चल पड़ा है इसकी जानकारी रखने वालो को इसके जरिये रोज़गार भी मिल रहा है !
जब बात हिंदी की हो ही रही है तो मै भी आपके साथ अपना एक अनुभव बाँटना चाहूंगी , हमारी एक विदेशी दोस्त हैं जिसने अपने देश के संस्कार , भाषा को न छोड़ते हुए हमारी हिंदी भाषा का ज्ञान हमारे साथ रह कर ही सिखा ! आज वो अपने देश से दूर रह कर भी हिंदी भाषा के माध्यम से अपने अनुभव हमसे बाँटती है और अपने परिवार और देशवासिवो के साथ अपनी ही भाषा से सम्पर्क बनाये रखे है वो बड़े गर्व से हमारे देश मै रह कर बिना किसी की मदद से हिंदी भाषा के माध्यम से अपना रोज़गार आसानी से चला रही है ! ये सब देख कर लगता है की जब दुसरे देश के लोग हमारी भाषा के माध्यम से इतनी आसानी से रोज़ी - रोटी कमा सकते हैं तो हम पिच्छे क्यु रहे ? क्यु न हम अपने आप अपने देश मै अपनी भाषा की एहमियत को समझते हुए उसे पूरा सम्मान दे जिससे कोई दूसरा देश हमारी इस कमजोरी का फायदा न उठाते हुए हमसे आगे निकल जाये और हम अपनी ही भाषा बोलने मै शरमाते रह जाये !
जय हिंद !
कटाक्ष
ha ha ha ha ha
बहुत अच्छा लिखा है कुछ गलतियां वर्तनी की हैं एक बहुत महत्वपूर्ण हैं....'मात्र' भाषा नहीं होती..'मातृ' भाषा होती है...उस मात्र का मतलब केवल या ओनली है...यह बुनियादी गलती थी... उम्मीद है खराब नहीं लगेगा...
सबसे पहले में आपकी पारखी नजरो की तारीफ करना चाहूंगी और साथ ही आपका बहुत २ धन्यवाद जो आपने मेरी इतनी बड़ी गलती को इतने प्यार से बता दिया आगे से में इस बात हमेशा ध्यान रखूंगी दोस्त !