‘‘सच्चाई-निर्भिकता, प्रेम-विनम्रता, विरोध-दबंगता, खुशी-दिल
से और विचार-स्वतंत्र अभिव्यक्त होने पर ही प्रभावी होते है’’
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माँ

1 comments
                                           
ये मेरे मालिक तेरा हमपे ये करम हो गया !
तुने अपनी जगह माँ का जो हमको साथ दिया !
 तू भी जनता था की अकेले तो हम न रह पाएँगे 
इसलिए चुपके से माँ बनके हाथ हमारा  थाम लिया !
जिंदगी के हर पल में उसने हमारा साथ दिया !
इसलिए जब दर्द  उठा तो माँ का ही जुबाँ ने नाम लिया !
माँ ने तेरा ये  काम बहुत खूबसूरती से कर  दिया !
तेरी ही तरह हम सबको अपना गुलाम कर दिया !
दोनों के एहसानों को तो अलग ना हम कर पाएंगे !
इसलिए उससे लिपट कर तेरे और करीब हम आ जायेंगे !

One Response so far.

  1. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है!

 
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