‘‘सच्चाई-निर्भिकता, प्रेम-विनम्रता, विरोध-दबंगता, खुशी-दिल
से और विचार-स्वतंत्र अभिव्यक्त होने पर ही प्रभावी होते है’’
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एहसास

3 comments



क्या कहे केसी हसीं वो शाम थी !
ना जाने किसकी याद हमारे पास थी !
सर्द हवाओ का प्यारा सा एहसास था !
मद मस्त मंद-मंद हवाओ का प्यार था !
जान कर हम ना जाने क्यु अनजान थे !
मीठे -मीठे दर्द से आज भी  बेजान थे !
 सर्द हवाए जेसे बदन को छु रही थी !
प्यारी-२बाते किसी की दिल मै उतर रही थी!
मीठे २ दर्द का एहसास  दिल के करीब था !
कहते भी कीससे हर कोई हमसे जो दूर था !
रात ने भी जेसे २ दस्तक देना शुरू किया !
नीद ने भी अपनी आग़ोश मै लेना शुरू किया !
बात जहां से शुरू हुई वही पर ख़तम हुई !
यादे भी अपने  पंख समेटे हमसे विदा हुई !
अब ना जाने हमको वो अपना कब पैगाम सुनाएगी  !
प्यारे प्यारे छोको से फिर से हमे जगाएगी !

3 Responses so far.

  1. Anonymous says:

    bahut hi achha likha hai Minakshi jee aapne

  2. Anonymous says:
    This comment has been removed by the author.
  3. Anonymous says:
    This comment has been removed by the author.
 
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