कितनी प्यारी कितनी मोहक
छूने भर से खो दे रोनक
खुशबु से जग को महकाए
भवरों का भी मन ललचाये
इंसा के मन को ये भाये
दुल्हन को भी खूब सजाये
भगवान के चरणों मै शीश नवाए
हर मोसम मै फिर खिल जाये
अपने रंगों से जग को महकाए
सारे जग मै प्यार फैलाये
हर घर - घर की है ये शान
सब करते हैं इसका मान
कितनी प्यारी कितनी मोहक
छूने भर से खो दे रोनक !
बहुत खुबसूरत पंक्तिया है ........
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