‘‘सच्चाई-निर्भिकता, प्रेम-विनम्रता, विरोध-दबंगता, खुशी-दिल
से और विचार-स्वतंत्र अभिव्यक्त होने पर ही प्रभावी होते है’’
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कुदरत

3 comments
जिस अंदाज से सूरज की तपन ने धरती को जलाया जी भर के !
बारिश की बूंदों ने भी उसमे मरहम लगाया जी भर भर के !
दोनों के इस खेल मै सारी दुनिया को जो सताया जी भर के !
 दोनों की लुका झिपी का मज़ा भी तो सबने लिया जी भर के!
अगर सूरज की तपन अपना रंग यु न दिखा पाती इस कदर !
तो बारिश की बुँदे भी अपना कमाल केसे दिखा पाती इस कदर !
इसलिए  तो हर जूनून का एक अलग ही मज़ा है संसार मै !
अगर एक भी हमसे झूट जाये तो ज़िन्दगी एक  सजा है !     
इसलिए कुदरत के इस खेल का तुम जम के मज़ा लो !
सूरज का करो स्वागत हरदम और बारिश का मज़ा लो ! 

3 Responses so far.

  1. सुंदर प्रयास...ऐसे ही लिखते रहिए...थोड़ा वर्तनी का ध्यान रखिए

  2. Ra says:

    अति सुन्दर !!! !!!

    अथाह...

    धन्यवाद !!!

 
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