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प्रसिद्ध हिडिम्बा देवी मंदिर

4 comments
Hidimba Devi Temple
      हिमाचल प्रदेश मै लकड़ी से बने हजारों साल पुराने विभिन्न देवी -देवतावो के बहुत  से मंदिर आज भी पर्यटकों एवं श्रद्धालुओ के आकर्षण का केंद्र हैं ! इन्ही मै से एक है  - "हिडिम्बा मंदिर" जो हिमाचल का गोरव माना जाता है !

                                महाभारत के भीम का विवाह हिडिम्ब राक्षस की बहन हिडिम्बा से हुआ था ! भीम और हिडिम्बा के संयोग से उत्पन पुत्र घटोत्कच महाभारत युद्ध मै पांड्वो की और से अद्भुत वीरता का प्रदर्शन करते हुए वीरगति को प्राप्त हुआ था ! महाभारत मै जेसे की वर्णन मिलता है , अपने आहार की खोज मै निकले हिडिम्ब राक्षस का भीम के साथ भीषण द्वन्द होता है और अंत मै भीम हिडिम्ब को मार देता है !इस घटना से दुखी हिडिम्ब की बहन हिडिम्बा कुंती समेत पांड्वो पर आक्रमण करना चाहती है किन्तु भीम का सरूप देख कर मोहित हो जाती है ! अंत मै माता कुंती की अनुमति से उसकी शादी भीम से हो जाती है ! इस एकाकिनी- युवती ने आत्मनिर्भरता के आदर्श को निभाते हुए पुत्र घटोत्कच का पालन - पोषण किया और समय आने पर कुरुक्षेत्र के मैदान मै प्राणोत्सर्ग के लिए उदार मन से बेटे को भेज दिया ! यह है एक आदर्श भारतीय नारी का उदाहरण "नारी तू नारायणी है " और " या देवी सर्व भूतेशु मात्रिरुपेन संस्थिता " के पवित्र सन्देश को आदर्श बनाकर हिमाचल -वासियों ने हिडिम्बा को अपनी श्रद्धा -आदर से देवी का परम पद प्रदान किया और इस हिडिम्बा मंदिर मै उसको प्रतिष्ठापित किया है ! कुल्लू का राजवंश हिडिम्बा को कुलदेवी मानता है ! एसा माना जाता है की १५५३ इ. स. मै कुल्लू के महाराजा बहादुर सिह ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था !
                                                            समुदर ताल से १२२० मीटर की ऊंचाई पर स्थित कुल्लू से मनाली की दुरी ४० किलोमीटर है ! मनाली शहर से एक किलोमीटर की दुरी डूंगरी स्थान पर यह हिडिम्बा मंदिर अपने विशिष्ट काष्ठ के अद्भुत शिल्प शोभा के साथ विराजमान है ! ४० मीटर ऊँचे इस हिडिम्बा मंदिर का आकर शंकु जेसा है ! उपर तीन झते वर्गाकार है और चोथी झत  शंकु आकर की है जिस पर पीतल चारो और से लगा है ! मंदिर के गर्भ ग्रह  मै विशाल शिला है , जिसमे से शारीर - भाग का आकर , देवी के विग्रह का साक्षात् प्रतिमान है !
                                                                                     वेसे तो हिमालय माँ पार्वती  के जनक हैं पित्रचरण  और केलाश उनका पतिगृह है , यानि यह हिमाद्री क्षेत्र भगवती दुर्गा का लीला स्थल है ! अत: यहाँ के कण - कण मै शक्ति चेतना भारी पड़ी है ! इस विशेष सन्दर्भ मै यहाँ के निवासियों की परम्परा भी अद्भुत है की कुल्लू के विश्व - प्रसिद्ध दशहरा की नयनाभिराम , देवी - देवतओं  की शोभा यात्रा तब तक आरम्भ नहीं होती , जब तक की इस पूरी शोभा यात्रा के नेतृत्व के लिए हिडिम्बा - देवी का रथ सबसे आगे तैयार न हो जाये !
                                                                       जय माता की !                                                                                                                                                                                         

4 Responses so far.

  1. सुंदर प्रस्तुति....

    नवरात्रि की आप को बहुत बहुत शुभकामनाएँ ।जय माता दी ।

  2. सदा says:

    बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

  3. दोस्तों आप सबका बहुत बहुत धन्यवाद आप सब तो हमे आगे बड़ने का साहस देते हो !

 
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