‘‘सच्चाई-निर्भिकता, प्रेम-विनम्रता, विरोध-दबंगता, खुशी-दिल
से और विचार-स्वतंत्र अभिव्यक्त होने पर ही प्रभावी होते है’’
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ये ठोकर मेरी गलती कि सजा थी

3 comments

इसमें तेरी खता नहीं कि,
ये ठोकर मेरी गलती कि सजा थी,
चलने से पहले ही, निगाह की होती तो,
मखमल में दबे कंकड़ निगाह में होते॥
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आह पे आह लेते है तेरी आने कि आहट पे॥
दिल को यकीन क्यों नहीं होता कि तेरी आहट
सिर्फ मेरी निगाह में है॥
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वो हर बार गुनाह पे गुनाह का इल्जाम लगाते गए॥
और मै शर्मिंदा होता गया ..
सुकर है उनकी बेवफाई का ..
मुझे पता तो चला कि मै बेगुनाह था॥
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इतनी अनमोल धरोहर तुझपे लुटा बैठे॥
कुछ पल के विश्वास पे जिंदगी दे बैठे॥
पता न थे खुले जो तेरे राज मेरे जाने के बाद, वरना
सजी थी सूली खुद कि जगह तुझे सुला देते ॥
******************************@ सागर


3 Responses so far.

  1. This comment has been removed by the author.
  2. हस्ती मै मोहबत को फ़ना कोन करेगा ,
    ये फ़र्ज़ अदा मेरे सिवा कोन करेगा !
    ये शेख मत दे वदकशो को ये नसीहत ,
    सब नेक बनेंगे तो खता कोन करेगा !

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