‘‘सच्चाई-निर्भिकता, प्रेम-विनम्रता, विरोध-दबंगता, खुशी-दिल
से और विचार-स्वतंत्र अभिव्यक्त होने पर ही प्रभावी होते है’’
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दम तो है गीदड़ो में भी जो शेर को रोड पर ले आये..

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हमारे देश का शासक राजपरिवार गाँधी परिवार जब-तब अपनी पापो, काले कारनामो, और अपनी विफलताओ को छुपाने के लिए समय-समय पर देश कि जनता को गुमराह करता रहता है.. इसीके तहत जब भी उसके खिलाफ कोई मामला बड़ा रूप लेने लगे तो उस से ध्यान हटाने के लिए जनता का ध्यान कही और खीचने कि कोशिश कि जाती है.. इसलिए जैसे ही कोई समश्या आयी कि कोई दूसरा ही बखेड़ा खडा कर दिया जाता है और उस मामले को सुलझाने का दंभ भरकर अपने हाथो अपनी पीठ थपथपाई जाती है... आजकल इनके प्रसासनिक नौकरों के आतंकवाद, उग्रवाद, नक्सली, भ्रष्टाचारी, में फेल होने पर इन्होने नया बखेड़ा खड़ा कर दिया ताकि देश कि जनता का ध्यान बट जाए और ये अपनी गाडी ऐसे ही धकाते रहे.. तो इन्होने नयी चर्चा छेड़ दी "हिन्दू आतंकवाद" इस से हुआ ये कि देश कि जनता का ध्यान पूरी तरह से अपने पर लगे दाग पर लग गया, देश का हर हिन्दू यही सोचने लगा कि 'यार मै आतंकवादी हू और मुझे पता नहीं? मै आतंकवादी हू? या नहीं हू? यह सोच जनता में इसीलिए उत्पन्न हुई क्योंकि हिन्दू आतंकवाद के लिए जो परिभासा इनकी सरकार ने दी है वो देश के किसी भी हिन्दू के पेट में पच नहीं रही है..  इन्होने जनता का एकमात्र निश्वार्थ प्रतिनिधि और राष्ट्रभक्त परिवार "संघ" जो गाँधी वन्सजो के गोरख धंधो के आड़े आते रहता है पर अपनी अधीन जांच एजेंसियों के माध्यम से कीचड उछालना चालू कर दिया जो बड़ा ही सर्मनाक कार्य है.. चाहे कैसे भी किया हो पर सरकार अपने उपर उठती उंगलियों को मोड़ने में जरूर कामयाब हो गयी..  संघ परिवार को उसने तंग करना चालू कर दिया जिससे हुआ यह कि संघ का ध्यान देश के गंभीर मुद्दों से हटकर आत्मकेंद्रित होने लगा है..  जिससे सारी मीडिया और जनता का ध्यान भी "संघ" के चिंतन पर टिक गया और उनके फ्रेंचाईजी- आतंकवादी, उग्रवादी, नक्सली, भ्रष्टाचारी आसानी से अपना गुप्त काम कर पा रहे है.. हम तो बस यही कहेंगे कि - दम तो है गीदड़ो में भी जो शेर को रोड पर ले आये.. आज इनके कारन शांत चित और संयम से अपनी राष्ट्र सेवा कार्यो को करने वाले संघ को रोड पर आना पड़ा ताकि विश्व पटल पर उसके खिलाफ किये जा रहे इस बड़े सड़यन्त्र के खिलाफ जनमानस को बताया जा सके ..
 
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