मुहब्बत सच और झूठ में नहीं फसती वो तो दिल से मन के बीच चलती है।
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कब तक यू ही दूर भागोगे? कभी तो मुड़कर हमसे नजरे मिलावोगे॥
नजर मिलेगी तो बात भी होगी ॥ ऐसा तो नहीं कि मुह बंद कर मुह चिढावोगे ?
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मै कैसे कहू कि कब तक साथ दूंगा तेरा?
मै तो साया हू जब दिल करे पीछे मुड़कर देख लेना
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अब बस यही दुआ है कि तुम थोडा आराम करो तो मुझे कुछ चैन मिले
साया हू न कभी -कभी थक जाता हू
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बीते हुए लम्हे हमेशा दर्द भरे होते है ॥
इसलिए उन्हें अपने अरमानो के साथ ही जला देता हूँ मै
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कोई सास लेना भी कभी भूल सकता है भला?
वो तो ज़िंदा है मेरे दिल में धड़कने बनकर
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सागर....
कोंन कहता है मोहोब्त ............
सच्ची या झूठी होती है !
ये तो दिल से दिल के करीब होती है !
साया तो फिर भी दुरी दिखाता है
ये तो हरदम धड़कन के करीब होती है !
सुंदर एहसास !