‘‘सच्चाई-निर्भिकता, प्रेम-विनम्रता, विरोध-दबंगता, खुशी-दिल
से और विचार-स्वतंत्र अभिव्यक्त होने पर ही प्रभावी होते है’’
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जिन्दगी

7 comments
INSPIRED BY THIS FEELING

महकती सी जिंदगी की किताब पर..........
गुनगुनाते सुरों के इस साज़ पर ........
एक गीत गा रही है जिंदगी !
कुछ खास सुना रही है जिंदगी !
                     सुबह का सूरज यहाँ पर चढ़ रहा !
                     चाँद की रौशनी को मद्धम कर रहा !
                      रात अपने आप को समेट कर !
                     सुबह के स्वागत मै जेसे लग रहा !
किसी के मिलन की बेला आ रही !
किसी को विरह जेसे बुला रही !
एक क्षण जिंदगी जेसे हंसा रही !
एक क्षण जिंदगी जेसे रुला रही !
                     रोज़ फूल कर रही श्रृंगार  है !
                     रोज़ धुल उसको नहला रहा !
                    रोज़ पतंगे दीप पे हैं मिट रहे !
                   एक मीत पे असंख्य मीत मिट रहे !
धर रही है उम्र कामना का शरीर !
टूट रही है किसी के सांसो की लड़ी !             
एक घर बसा रही है जिंदगी !
एक घर मिटा रही है जिंदगी !
                 खुश है अगर जिंदगी योवन लिए हुए !
                 रो रहा है बुडापा सांसो को समेटे हुए !
                  एक पल जेसे  सुला रही है जिंदगी !
                  एक पल जेसे हंसा रही है जिंदगी !
जा रही बहार एक सवेरा लिए हुए !
आ रही है रात जलती शमा लिए हुए!
एक बार जो लेके आती है जिंदगी !
दुसरे पल देके भी तो जाती है जिंदगी !

7 Responses so far.

  1. Sagar says:

    Ab kya comment karu mai aapke lekh par..
    Suraj mujhe roshni degaa yaa, Suraj ko roshni dikhau mai?

  2. Jyoti says:

    महकती सी जिंदगी की किताब पर..........
    गुनगुनाते सुरों के इस साज़ पर ........
    काश वो चंद लकीरे खींच देता .......
    जिसकी एक आहत का हम इंतेजार करते है...

  3. Sagar says:

    @Jyoti- Are Jyoti jee aap kab aati hai aur kab comment karke chali jaati hai. kabhi ruk bhi jaya karo..
    dekhti bhi ho sunti bhi ho kabhi apni bhi sunaa jaya karo..

  4. शक्रिया दोस्त !

 
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