खुद को इतने करीब से !
उसकी पारखी नजरो ने न जाने
केसा ये कमाल कर दिया !
हमने तो अभी अपनी ज़मी
मै न पहचान बनाई थी !
उसने तो हमारी गिनती
तारो मै लाकर ही कर दी !
वक़्त जेसे -जेसे अपनी
आग़ोश मै भरता चला गया !
हमारी पहचान मै और वो ............
इजाफा करता चला गया !
कितना प्यारा था वो शख्श
जो हमे इतना प्यार करता था !
हमे खबर भी न हुई
और वो दिल मै उतरता चला गया !
कितने प्यारे बन गये थे
ये रिश्ते बिना किसी चाहत के !
और हम एक दुसरे को
सम्मान देते ही चले गये !
न जाने ये दोस्ती का सफ़र
कब तलक यु ही चलेगा !
न जाने कब वो हमे तारो से ............
फिर सूरज की रौशनी कहेगा ?
हमने तो दुनिया को सूरज दिखाया ..
सूरज सोचे की हमने उसे दुनिया दिखायी है..
ये तो देखने का अपना नज़रिया है...
तारे को भी कहा पता होता है, कि वो क्या है
दूर टिम-टिमआए तो तारा, और दुनिया रोशन करे तो सूरज कहलाता है..
krishna ji aapka bahut bahut dhnyvad dost
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