‘‘सच्चाई-निर्भिकता, प्रेम-विनम्रता, विरोध-दबंगता, खुशी-दिल
से और विचार-स्वतंत्र अभिव्यक्त होने पर ही प्रभावी होते है’’
Powered by Blogger.
 

अनजाना शख्श

4 comments

हमने तो कभी जाना ही न था
                         खुद को  इतने करीब से !
उसकी पारखी नजरो ने  न जाने
                        केसा ये कमाल कर दिया  !
हमने तो अभी अपनी ज़मी
                       मै न पहचान बनाई थी !
उसने तो हमारी गिनती
                     तारो मै लाकर ही कर दी !
वक़्त जेसे -जेसे अपनी
                  आग़ोश मै भरता चला गया !
हमारी पहचान  मै  और वो ............
                  इजाफा करता चला गया !
कितना प्यारा था वो शख्श
                जो हमे इतना प्यार करता था !
हमे खबर भी  न हुई
                 और वो दिल मै उतरता चला गया !
कितने प्यारे बन गये थे
                ये रिश्ते बिना किसी चाहत के !
और हम एक दुसरे  को
                   सम्मान देते ही चले गये !
न जाने ये दोस्ती का सफ़र
                 कब तलक  यु ही चलेगा !
न जाने कब वो  हमे तारो से ............
            फिर  सूरज की रौशनी कहेगा ?

4 Responses so far.

  1. हमने तो दुनिया को सूरज दिखाया ..

    सूरज सोचे की हमने उसे दुनिया दिखायी है..

    ये तो देखने का अपना नज़रिया है...

    तारे को भी कहा पता होता है, कि वो क्या है

    दूर टिम-टिमआए तो तारा, और दुनिया रोशन करे तो सूरज कहलाता है..

  2. krishna ji aapka bahut bahut dhnyvad dost

 
स्वतंत्र विचार © 2013-14 DheTemplate.com & Main Blogger .

स्वतंत्र मीडिया समूह