
प्यारा सा एक एहसास हु मै
हर दम तुम्हारे साथ हु मै ..........
मुझसे दूर कहाँ तलक जाओगे
तुम्हारा साया हु मै मुझे कहाँ छोड़ पाओगे !
अगर गोर से देखा जाये तो जिंदगी बहुत तेज़ी से करवट लेती जा रही है हर पल कुच्छ नया सा दिख रहा है जिंदगी इतनी तेज़ी से बदलेगी शायद किसी ने सोचा भी न होगा हर इन्सान हर पल कुच्छ नया करने मै जुटा है ! इंसा की सोच एक नई दिशा तय कर रही है हर तरफ भाग - दोड़ का शोर सा मचा हुआ है ! किसी को किसी के एहसास बाँटने की फुर्सत ही कहाँ है बस दिल मै एक डर है की कही मेरा प्रदर्शन किसी और से कम न हो जाये और मै इस भागती हुई दुनिया के साथ चलने मै पिछड़ न जाऊ ! यहाँ तो हाल एसा हो गया है जेसे दोड़ मै हिस्सा तो लेना ही है अंजाम फिर जो भी हो मजिल मिले न मिले कोई बात नहीं ! कोंन पिच्छे छुट गया किसे ख़ुशी मिली किसे दर्द ..........इसका एहसास तो शायद ख़तम ही होता जा रहा है ! गाँव अपना आस्तित्व गँवा कर शहर का रूप धर रही है ! न जाने शहर मै वो किसको ढूंड रही है ! त्याग , प्रतीक्षा , वादे और एहसास तो जेसे गुजरे ज़माने की बात हो चली है ! जब सब चीज़ मै बदलाव आ रहा है तो प्रेम [ प्यार ] भी अपने मायने क्यु न बदलता उसने भी उसी रफ़्तार का हिस्सा बनना चाहा और उसी की रफ़्तार का रूप धर लिया ! आज उसके भी मायने बदल गये हैं , प्रेम अब भावना और एहसास न रह कर यथार्थ मै जीने लगा है उसका दायरा संकुचित न हो कर बढता चला जा रहा है उसके अंदाज़ ने नए मायनो को जन्म दिया है अब वो प्यार के साथ - साथ हर वो चीज़ पाना चाहती है जिससे उसकी रफ़्तार बनी रहे और वो इस भागती दुनिया से कदम मिला कर चल सके !
ये इशक की आग है प्यारे पर ....................
अपना .. अपना अंदाज़ है प्यारे
अब देखो न प्यार करने का भी अपना - अपना अंदाज़ ही तो दीखने को मिलता है पर पुकारा प्यार ही जाता है ! प्रेम का अर्थ किसी आस्तित्व को इस कदर चाहना है की उसके आस्तित्व मै ही हर रंग घुलता नज़र आये !अपने को मिटा कर बस उसीके लिए जीना उदेश्य बन जाये ! फिर उस एहसास को अपने अन्दर भर.......... कर महसूस किया जाये ! अब भगत सिंह , राज गुरु , और येसे ही क्रांतिकारियों को ही देख लो............... किस कदर का जूनून था अपने देश के लिए क्या ये प्यार नहीं था तो क्या था ? जिसमे न अपनी फिकर थी न मरने का डर बस दिल मै उसके लिए मर मिटने की चाह जिसमे पाना कुच्छ नहीं सिर्फ देना ही देना था ! और इस कदर की मोहोबत भी तो प्यार का ही रूप है ! अब मीरा बाई को ही देख लो ...............उसने क्या सोच कर कृष्ण से दिल लगाया केसी चाहत थी ये की वो महलो को छोड़ कर सडको पे फिरती रही न कोई चाहत न ही किसी चीज़ का लालच बस उसे अपने दिल मै बसा कर उसी से प्यार करते रहना निस्वार्थ भाव से ..........प्रेम एक पूजा है लगन है जहां दिल लगा दो बस उसी का हो जाता है !.
एसी लागी लगन मीरा हो गई मगन
वो तो गली - गली हरी गुण गाने लगी
महलो मै पली बन के जोगन चली
मीरा रानी दीवानी कहाने लगी !
ये दुनिया भी एक अजीब सी नगरी है सब जानती है पर फिर भी अनजान बनी रहती है ! ये जानते हुए की ये तो हम सब की परझाई हैं फिर उसे हमसे जुदा करने मै लगी रहती है और अनजाने ही इसके एहसास को और मजबूत बाना डालती है क्युकी ये तो मानव का स्वभाव ही है की जिस चीज़ से उसे दूर करना चाहोगे वो उसके और करीब आता जायेगा ! जो एहसास सबके पास है फिर वो हम सबसे जुदा केसे हो सकता हैं उस बात को झुठलाने से क्या फायदा जो किसी से जुदा हो ही नहीं सकती ! देखो न जब से श्रृष्टि बनी है तब से ये हमारे साथ ही बना हुआ है जिंदगी ने सब कुच्छ पीछे छोड़ दिया पर प्रेम का रूप हर रंग मै हमारे साथ चलता रहा है कभी लेला मजनू ,कभी श्री फरहाद तो कभी हीर राँझा बनके और आज वही एहसास हर घर के बच्चों के दिलो मै हैं ! पर उनका अंदाज़ अब वो न रह कर कुच्छ इस कदर हो गया है की उसने संचार माध्यमो का रूप ले लिया है जिसमे एहसास की भूमिका बस कुच्छ पलों की ही रह गई है ! वो प्यार शब्द तो जानते हैं पर सही मायने मै उसका अर्थ नहीं समझते ! आज प्यार गली - मोहल्लो से निकल कर सडको , माल और मेट्रो का हिस्सा बनते जा रहें हैं ! कुच्छ वक़्त एक दुसरे के हाथो मै हाथ डाल कर घूमते हैं एक दुसरे से प्यार का इज़हार करते हैं और अगले ही पल टाटा - बाय बाय कर किसी और की राह तकते हैं !
ये समझना बहुत मुश्किल सा होता जा रहा है ! की कब सच्चा प्यार है और कब धोखा ? इसी सवाल के जवाब मै जिंदगी बीतती जा रही है ! क्युकी जितना प्यार मजबूत बनाता है उतना ही प्यार हमे निरीह भी बनाता है ! आज समूची दुनिया को प्रेम मै रंगे देख कर बस यही ख्याल दिल मै आता है !
सबके प्यार मै तासीर हो सच्ची
सबके प्यार की ताबीर हो सच्ची !
प्यारा सा एक एहसास हु मै
हर दम तुम्हारे साथ हु मै ..........
मुझसे दूर कहाँ तलक जाओगे
तुम्हारा साया हु मै मुझे कहाँ छोड़ पाओगे !
sahi kaha n ?
shukriya