‘‘सच्चाई-निर्भिकता, प्रेम-विनम्रता, विरोध-दबंगता, खुशी-दिल
से और विचार-स्वतंत्र अभिव्यक्त होने पर ही प्रभावी होते है’’
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पुरस्कार

2 comments

कोई पुरस्कृत क्यु होता है ?
कोई जिंदगी भर बिना इनाम के ही ....
इनाम वाला भी  हो जाता है
और कुच्छ लोग लगातार .........
नाम - इनाम बटोरते ही रहते हैं
तो कुच्छ नाम येसे  भी हैं ,
जो इनाम की शक्ल  ही बदल देते हैं
वे लेते हैं......... तो खबर बनती है
ठुकराते हैं...... तो भी खबर बनती है
क्युकी जो धूर्त होते हैं ...
वो ........बहुत मीठे होते हैं
और मीठे फलो मै कीड़े भी
जल्दी होते हैं ...............
तो बस उनकी मुस्कराहट को
तय करने दो .......?.
की उनकी मुस्कान कितनी निर्दोष है
और फिर वो  मिले तो जानो .....
 की उनकी आँखों मै कितनी चमक है ?
आखिर मै बस..... मिट्ठा न मिले तो..........
नमकीन से काम चलेगा क्या ?
आजकल तो जेबकतरों और
उठाई -गीरों को भी इनाम
दे दिए जाते हैं ...............
तो अब हम केसे तय करे की ...........
पुरस्कार केसे दिए जाते हैं ?       

2 Responses so far.

  1. Jyoti says:

    koi kya kisi ko puraskar dega..
    bas apni khud kee najro me jeet
    jaayiye. yahi to sabse badaa puraskar hai..

 
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