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(1) आज भी देश मे 28 प्रतिशत निरक्षर रहते है। यह शासकीय ऑकड़ा है। यह हमारे राष्ट्र के माथे पर कलंक है। जिस देश में अपने मत का सही-सही प्रयोग करने की मानसिकता और समझ विकसित नहीं हो पाई है। उस देश में पढ़े लिखे लोगों के लिए लज्जा और चिंता का विषय होना चाहिये। हमें इन सेवा बस्तियों में बाल संस्कार केन्द्र, झोला पुस्तकालय जैसे छोटे-छोटे उपक्रमों से शिक्षा देने का कार्य प्रारम्भ करना चाहिये। सप्ताह में एक या दो दिन का समय इन बस्तियों में हमें देना ही चाहिये । हिन्दुत्व का भाव पहुँचाने का माध्यम है सेवा कार्य । साप्ताहिक सेवा दिन की पालना प्रत्येक शाखा में होना चाहिये। इस प्रकार के सेवा कार्य से धर्मान्तरण एवं मतान्तरण रूक सकता है।
(2) स्वास्थय - के सम्बंध में हमें सप्ताह में एक दिन स्वच्छता अभियान इन बस्तियों में चलाना चाहिये। छोटी-छोटी बाते जैसे हाथ धोकर ही खाना खाना, घर के चारो ओर साफ स्वच्छ रखना घर के आँगन में तुलसी का पेड़ पर्यावरण की दृष्टि से श्रेष्ठ है। बताना प्रतिदिन स्नान, ध्यान एवं पूजन करना भारतीय रसोई घर में प्रयुक्त होने वाले मसाले जैसे हल्दी, लहसून, अदरक, जीरा, राई, अजवाइन, मैथी जैसे अनेक वस्तुओं में निहित औषधीय गुणो एवं कौन सी बीमारी में क्या कैसे लेना बताया जा सकता है। कोई बीमार है तब सावधनियाँ क्या रखी जानी चाहिये यह बताया जा सकता है। निकटवर्ती शासकीय/अशासकीय चिकित्सालय में ले जाने या ले जाकर उचित उपचार कराया जा सकता है। विभिन्न्ा वनस्पतियों के औषधीय गुणों के सम्बंध में जानकारी उपलब्ध कराई जा सकती है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए पीपल, बरगद एवं अन्य वृक्षों को लगाने से लाभ बताये जा सकते है। मित्रों सेवा कार्य के लिए अपार संभावनाएँ स्वास्थय क्षेत्र में विद्यमान है।
(3) स्वावलम्बन के क्षेत्र में भी अपार संभावनाएँ है। बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है। इन दिनो बेरोजगारों का उपयोग राष्ट्रविरोधी, समाज विरोधी कार्यों में कराया जाना संभव है। कुछ घटनाएँ प्रकाश मंे भी आई है। उस सेवा बस्तियों का अध्ययन करके योजना बनाई जा सकती है।
(4) सामाजिक समरसता - सामाजिक कुरीतियों, कुप्रचलनों को समाप्त करने हेतु छोटे-छोटे ज्ञानवर्धक गोष्ठियों का आयोजन कराया जा सकता है। सामाजिक समरसता की भावना को जन-जन तक पहुँचाना, इस बस्ती में रामायण मंडल, भजन मंडल, हवन पूजन, कन्या पूजन योग, व्यायाम केन्द्र प्रभातफेरी इत्यादि कार्यों द्वारा सामाजिक समरसता का वातावरण तैयार किया जा सकता है । इन सेवा कार्यो से समाज में आत्मविश्वास पैदा होता है। संघ से प्राप्त संस्कार को समाज में बाँटने का काम सेवा कार्य है। सेवा करते समय ध्यान रखना चाहिये कि सेवा प्राप्त करने वाला सेवित, स्वयं सेवक बन सकें। सेवा कार्य समाज को साथ लेकर करना, सामाजिक परिवार भाव का जागरण करना सम्पर्क से जीवन में परिवर्तन तथा सेवा कार्य से सामाजिक परिवर्तन अपना उद्देश्य रहे।
(3) स्वावलम्बन के क्षेत्र में भी अपार संभावनाएँ है। बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है। इन दिनो बेरोजगारों का उपयोग राष्ट्रविरोधी, समाज विरोधी कार्यों में कराया जाना संभव है। कुछ घटनाएँ प्रकाश मंे भी आई है। उस सेवा बस्तियों का अध्ययन करके योजना बनाई जा सकती है।
(4) सामाजिक समरसता - सामाजिक कुरीतियों, कुप्रचलनों को समाप्त करने हेतु छोटे-छोटे ज्ञानवर्धक गोष्ठियों का आयोजन कराया जा सकता है। सामाजिक समरसता की भावना को जन-जन तक पहुँचाना, इस बस्ती में रामायण मंडल, भजन मंडल, हवन पूजन, कन्या पूजन योग, व्यायाम केन्द्र प्रभातफेरी इत्यादि कार्यों द्वारा सामाजिक समरसता का वातावरण तैयार किया जा सकता है । इन सेवा कार्यो से समाज में आत्मविश्वास पैदा होता है। संघ से प्राप्त संस्कार को समाज में बाँटने का काम सेवा कार्य है। सेवा करते समय ध्यान रखना चाहिये कि सेवा प्राप्त करने वाला सेवित, स्वयं सेवक बन सकें। सेवा कार्य समाज को साथ लेकर करना, सामाजिक परिवार भाव का जागरण करना सम्पर्क से जीवन में परिवर्तन तथा सेवा कार्य से सामाजिक परिवर्तन अपना उद्देश्य रहे।
आपके बहुत ही खुबसूरत विचार हैं हमे कोई भी काम करते हुए पूरी भावना अपने अन्दर लाना बहुत जरुरी है तभी हम दुसरे मै बदलाव ला सकते हैं वर्ना उस कहने का सच मै कोई फायदा नहीं दोस्त !
बहुत सुन्दर रचना !
उच्च विचार है आपके
उच्च विचार है आपके
बहुत सुन्दर रचना !