‘‘सच्चाई-निर्भिकता, प्रेम-विनम्रता, विरोध-दबंगता, खुशी-दिल
से और विचार-स्वतंत्र अभिव्यक्त होने पर ही प्रभावी होते है’’
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सेवा कार्य - सामाजिक परिवर्तन का माध्यम

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जैसा कि नाम से ही सेवा का प्रकटीकरण होता हैं। “राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ“ राष्ट्र की सेवा करने वाला संगठन, स्वयं के द्वारा, संकल्पित, स्वयं सेवक, किसी के दबाव में नहीं, अपितु अपनी इच्छा से राष्ट्र सेवा के लिए समर्पित होने का पावन, पवित्र भाव । स्वयं की प्रेरणा से सेवा करने वाला स्वयं सेवक । संघ के प्रारम्भ से ही सेवा हमारी आधार शिला है । आपको विदित है, कि शाखा स्थल पर सफाई, स्वच्छता का कार्य, परम पूजनीय डाँ. साहब स्वयं करते थे और अन्य स्वयं सेवकों के लिए आदर्श प्रस्तुत करते हुए, अपनी सेवा भावना से प्रेरित करते थे । वह छोटा सा सेवा का संस्कार हमें उत्कृष्टता की दिशा में चलने, सोचने की शिक्षा देता है। सेवा कार्य समाज के प्रति अत्यन्त आत्मीय भाव से ही संभव होता है । परम पूज्य डाँ. जी के जन्म शताब्दी वर्ष में सेवा बस्ती में जाने के निर्णय से सेवा कार्य का अत्यन्त विस्तार हुआ है । हमारी लम्बी उपेक्षा के कारण सेवा बस्तियों में, अस्वच्छता, अभाव, गरीबी, अशिक्षा, बीमारी, बेरोजगारी, अपराध जैसी गतिविधियाँ, स्थितियाँ दिखाई पड़ती है। इसलिए एक शाखा एक बस्ती की योजना के माध्यम से हमने समूचे भारत वर्ष में युद्ध स्तर पर अभियान चलाया हुआ है। विधिवत गंदी बस्तियों की चिन्ता के साथ अन्य समस्याओं के समाधान के लिए सेवा को सामाजिक परिवर्तन का माध्यम बनाया है। सेवा के विविध कार्य, प्रयत्न, इन बस्तियों में संचालित किये जा रहे हैं। कुछ कार्यकर्त्ता सभी बुराइयों के लिए दूसरों को उत्तरदायी ठहराकर प्रसन्न हो जाते है। कुछ कार्यकर्त्ता राजनीतिक विकृतियों तथा कुछ लोग ईसाई, मुस्लिम आदि दूसरे सम्प्रदायों की आक्रामक गतिविधियों पर दोषारोपण करते हैं। परन्तु हमारे कार्यकर्त्ता को अपने मस्तिष्क को ऐसी प्रवृतियों से मुक्त रखकर अपने धर्म एवं बन्धुओं के लिए शुद्धभाव से कार्य करना चाहिये जिन्हे सहायता की आवश्यकता है उन्हे सहयोग देना और विपत्तियों से मुक्त करने हेतु सतत् प्रयास करना चाहिये। इस सेवाकार्य में व्यक्ति-व्यक्ति में कोई भेद नहीं करना चाहिये, फिर वह चाहे ईसाई हो या मुसलमान अथवा किसी अन्य सम्प्रदाय का अनुयायी । दैनिक आपदा, कष्ट अथवा दुर्भाग्य कोई भेदभाव नहीं करते, इनसे सभी समान रूप से प्रभावित होते हैं। मानवता के कष्ट निवारण के कार्य में सेवा करते समय कृपा अथवा दया भाव से नहीं बल्कि सभी के हृदयों में विद्यमान परमात्मा के प्रति समर्पित भक्ति मय अर्चना भाव से करना चाहिये। हमें सेवा के विविध कार्य जैसे जल संरक्षण, जैविक कृषि, कुरीति उन्मूलन अश्पृश्यता निवारण, दुर्व्यसन उन्मूलन जैसे सेवा कार्यों की योजना बनाकर सेवा बस्ती को सेवा क्षेत्र बनाना चाहिये। सर्वप्रथम सेवा बस्तियों का अध्ययन करना चाहिए। वहाँ किस प्रकार की सेवा योजनाएँ चलाई जा सकती है। कार्यक्रम तैयार करना चाहिये। हमारे सेवा कार्य के चार प्रकार है। (1) शिक्षा (2) स्वास्थ्य (3) स्वावलम्बन (4) सामाजिक समरसता
(1) आज भी देश मे 28 प्रतिशत निरक्षर रहते है। यह शासकीय ऑकड़ा है। यह हमारे राष्ट्र के माथे पर कलंक है। जिस देश में अपने मत का सही-सही प्रयोग करने की मानसिकता और समझ विकसित नहीं हो पाई है। उस देश में पढ़े लिखे लोगों के लिए लज्जा और चिंता का विषय होना चाहिये। हमें इन सेवा बस्तियों में बाल संस्कार केन्द्र, झोला पुस्तकालय जैसे छोटे-छोटे उपक्रमों से शिक्षा देने का कार्य प्रारम्भ करना चाहिये। सप्ताह में एक या दो दिन का समय इन बस्तियों में हमें देना ही चाहिये । हिन्दुत्व का भाव पहुँचाने का माध्यम है सेवा कार्य । साप्ताहिक सेवा दिन की पालना प्रत्येक शाखा में होना चाहिये। इस प्रकार के सेवा कार्य से धर्मान्तरण एवं मतान्तरण रूक सकता है।
(2) स्वास्थय - के सम्बंध में हमें सप्ताह में एक दिन स्वच्छता अभियान इन बस्तियों में चलाना चाहिये। छोटी-छोटी बाते जैसे हाथ धोकर ही खाना खाना, घर के चारो ओर साफ स्वच्छ रखना घर के आँगन में तुलसी का पेड़ पर्यावरण की दृष्टि से श्रेष्ठ है। बताना प्रतिदिन स्नान, ध्यान एवं पूजन करना भारतीय रसोई घर में प्रयुक्त होने वाले मसाले जैसे हल्दी, लहसून, अदरक, जीरा, राई, अजवाइन, मैथी जैसे अनेक वस्तुओं में निहित औषधीय गुणो एवं कौन सी बीमारी में क्या कैसे लेना बताया जा सकता है। कोई बीमार है तब सावधनियाँ क्या रखी जानी चाहिये यह बताया जा सकता है। निकटवर्ती शासकीय/अशासकीय चिकित्सालय में ले जाने या ले जाकर उचित उपचार कराया जा सकता है। विभिन्न्ा वनस्पतियों के औषधीय गुणों के सम्बंध में जानकारी उपलब्ध कराई जा सकती है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए पीपल, बरगद एवं अन्य वृक्षों को लगाने से लाभ बताये जा सकते है। मित्रों सेवा कार्य के लिए अपार संभावनाएँ स्वास्थय क्षेत्र में विद्यमान है।
(3) स्वावलम्बन के क्षेत्र में भी अपार संभावनाएँ है। बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है। इन दिनो बेरोजगारों का उपयोग राष्ट्रविरोधी, समाज विरोधी कार्यों में कराया जाना संभव है। कुछ घटनाएँ प्रकाश मंे भी आई है। उस सेवा बस्तियों का अध्ययन करके योजना बनाई जा सकती है।
(4) सामाजिक समरसता - सामाजिक कुरीतियों, कुप्रचलनों को समाप्त करने हेतु छोटे-छोटे ज्ञानवर्धक गोष्ठियों का आयोजन कराया जा सकता है। सामाजिक समरसता की भावना को जन-जन तक पहुँचाना, इस बस्ती में रामायण मंडल, भजन मंडल, हवन पूजन, कन्या पूजन योग, व्यायाम केन्द्र प्रभातफेरी इत्यादि कार्यों द्वारा सामाजिक समरसता का वातावरण तैयार किया जा सकता है । इन सेवा कार्यो से समाज में आत्मविश्वास पैदा होता है। संघ से प्राप्त संस्कार को समाज में बाँटने का काम सेवा कार्य है। सेवा करते समय ध्यान रखना चाहिये कि सेवा प्राप्त करने वाला सेवित, स्वयं सेवक बन सकें। सेवा कार्य समाज को साथ लेकर करना, सामाजिक परिवार भाव का जागरण करना सम्पर्क से जीवन में परिवर्तन तथा सेवा कार्य से सामाजिक परिवर्तन अपना उद्देश्य रहे।

3 Responses so far.

  1. आपके बहुत ही खुबसूरत विचार हैं हमे कोई भी काम करते हुए पूरी भावना अपने अन्दर लाना बहुत जरुरी है तभी हम दुसरे मै बदलाव ला सकते हैं वर्ना उस कहने का सच मै कोई फायदा नहीं दोस्त !
    बहुत सुन्दर रचना !

  2. उच्च विचार है आपके

  3. उच्च विचार है आपके
    बहुत सुन्दर रचना !

 
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