जिंदगी
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हथेलियों मै पानी सी कभी ठहरती ही नहीं ,
मुठ्ठी मै रेत बन के फिसल जाती है !
पकड़ना तो कई बार चाहा है मैने उसे ,
बंद आँखों के खुलते ही खो जाती है !
मस्त पवन सी झूमती सी आती है ,
आंधी की तरह सब कुच्छ उड़ा ले जाती है !
कडकती धूप मै जब पांव मेरे जलते हैं ,
झट से बदलों की छाँव वो बन जाती है !
ख़ुशी मिले मुझे तो वो दूर मुझसे होती है
गम के आते ही वो मरहम का काम करती है !
हर राह मै वो साथ मेरे चलती है ,
सुख - दुःख का लेखा - जोखा रखती है !
मेरे दुःख मै बिन बादल ये बरसती है ,
ख़ुशी मिले तो ये धूप बनके खिलती है !
जब एक हसीन ख्वाब मै बुनती हु ,
तुझको तो मै साथ लेके चलती हु !
हर ख्वाब सच भी तो नहीं होता ...........
उस वक्त बढकर तेरा हाथ थाम लेती हु !
तेरी हिम्मत से नया ख्वाब में बुनती हु !
फिर बेखोफ आगे का सफ़र तय करती हु !
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तेरी हिम्मत से नया ख्वाब में बुनती हु !
फिर बेखोफ आगे का सफ़र तय करती हु !
sunar panktiyan