‘‘सच्चाई-निर्भिकता, प्रेम-विनम्रता, विरोध-दबंगता, खुशी-दिल
से और विचार-स्वतंत्र अभिव्यक्त होने पर ही प्रभावी होते है’’
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सावन की फुहार

9 comments

नाचत - गावत आई बहार 
क्यारी - क्यारी फूलों सी महकी 
चिड़ियाँ नाचे दे - दे ताल 
नाचत -  गावत आई बहार !
भवरों की गुंजन भी लागे 
जेसे गाए गीत मल्हार 
रंग बिरंगी तितली देखो 
पंख फैलती बारम्बार 
नाचत - गावत आई बहार !
मोर - मोरनी  भी एसे  नाचे  
जेसे हो प्रणय को तैयार 
थिरक - थिरक अब हर कोई देता 
अपने होने का  आगाज़ 
नाचत गावत आई बहार !
हर कोई अपने घर से निकला 
करने अपना साज़ - श्रृंगार 
सबका मन पंछी बन डोला 
मस्त गगन मै फिर एक बार 
नाचत -  गावत आई बहार !
चिड़िया असमान मै नाचे 
तितली गाए गीत मल्हार 
मै तो इक टक एसे देखूं 
जेसे मैं हूँ   कोई चित्रकार 
नाचत -  गावत आई बहार !

9 Responses so far.

  1. वसंत में सावन की फुहार ? बहरहाल मन तो भीग ही गया बेमौसम की बारिश में ! अच्छी कविता . सराहनीय प्रस्तुति.

  2. मन को भिगोती सुंदर रचना .......

  3. मन को भिगोती सुंदर रचना .......

  4. बहुत बढ़िया प्रस्तुति.

  5. Anonymous says:

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  6. Anonymous says:

    Sauerstoff eingewirkt hat,

 
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