‘‘सच्चाई-निर्भिकता, प्रेम-विनम्रता, विरोध-दबंगता, खुशी-दिल
से और विचार-स्वतंत्र अभिव्यक्त होने पर ही प्रभावी होते है’’
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इंतजार

4 comments



मेरे इंतजार मै तू जो दो पल ठहर जाती !
तेरे गेसूं तले  फिर ये  शाम हो जाती !

तेरे दीदार पे मै ये जन्नत बिछा  देता !
मेरी ये जिंदगानी  खुशगवार हो जाती ! 
तेरी  नशीली आँखों का जो मै जाम पी लेता !
मयखाने  का तो रास्ता ही मै भुला देता  !
तेरी आह्ट  से जो तेरा पता मिल जाता !
तेरे क़दमों पे ही मै सारा जहाँ  पा  लेता  !
तेरे अश्कों को अपनी हथेलियों मैं लेके ,
तेरे हर गम को प्यार का मरहम देता !
तेरी हर ख़ुशी मै हरदम तुझ संग झूमता मैं 
अपने गम को शामिल उसमे हरगिज न करता !
जो तू कभी जान जाती मेरे इस प्यार को ,
तो तेरे सीने मैं सर रखकर  मैं बस रो देता !

4 Responses so far.

  1. जो तू कभी जान जाती मेरे इस प्यार को ,तो तेरे सीने मैं सर रखकर मैं बस रो देता !

    वाह ! क्या खूब कहा है……………कभीकभी शब्दो से ज्यादा आंसू बोलते हैं।

  2. 'साकिया मुझको मुहब्‍बत चाहिए,
    शहर मे है, वरना मैखाने बहुत।'
    अच्‍छी रचना।

  3. Anonymous says:

    सुन्दर रचना!

  4. बहुत उम्दा!!

 
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