‘‘सच्चाई-निर्भिकता, प्रेम-विनम्रता, विरोध-दबंगता, खुशी-दिल
से और विचार-स्वतंत्र अभिव्यक्त होने पर ही प्रभावी होते है’’
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मनुष्य कि स्मृति

3 comments



मनुष्य कि सोच अदभुत , मगर भ्रामक उपकरण होती है !
हमारे  भीतर रहने वाली स्मृति न तो पत्थर पर उकेरी गई 
कोई पंक्ति है और न ही एसी कि समय गुजरने के साथ 
धुल जाये , लेकिन अक्सर वह बदल जाती है , या कई बाहरी 
आकृति से जुड़ जाने के बाद बढ जाती है !

3 Responses so far.

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