किसी के जाने से कारवां रुक नहीं जाता |
किसी के आने से इतिहास कब बदलता है |
जिंदगी एक प्रवाह है न रुका है न रुकेगा |
चलता ही रहा है और चलता ही रहेगा |
अगर एक तरह से जी कर थक चुके हो तुम
तो जीवन को जीने का अंदाज़ बदल डालो |
उसको जीने के मायने ही बदल दो तुम |
इन्सान तो अपने आप में खूबियों का
एक भरपूर पुलिंदा है |
वो जब चाहे गाँधी , सुभाष और जब चाहे
सचिन और सहवाग बन सकता है |
तो इससे साफ़ जाहिर होता है की सारी
खूबियों का शहंशाह सिर्फ इन्सान ही है |
बस जरुरत है तो इतना की उसका उपयोग
किस स्थान पर कब और कैसे किया जाये |
क्युकी दुनिया तो एक रंगमंच है और
हम सब इस रंगमच के कलाकार हैं |
बस अपनी - अपनी कला से एक दुसरे को
मोहित करना हमारा काम है |
बस थोड़े वक्त का ही ये खेल होता है |
क्युकी हम तो सितारे हैं उपर से आयें है ,
और वापस सितारों में ही जाके मिलना है |
जिंदगी की रफ़्तार को न आज तक कोई
रोक पाया है और न ही रोक सकता है |
सारी सृष्टि की ये सच्चाई है बिना परिवर्तन
के कुछ भी संभव नहीं |
फिर और किसका इंतजार करना है |
इस जीवन को अपने ही अंदाज़ में
जीके निकलना हैं |
हाय तौबा न करते हुए ख़ुशी - खशी
आगे की और ही तो बढ़ना हैं |
आपने सही कहा है, परिवर्तन ही संसार का नियम है।
मैं गुजराती कॉलमिस्ट-पत्रकार हूँ और राष्ट्र-भाषा के प्रति लगाव के कारण, हीन्दीमें लिखने का, यह मेरा प्रथम नम्र प्रयास है । कोई क्षति हो तो क्षमा करनेंकी कृपा करें ।
http://mktvfilms.blogspot.com/2011/02/blog-post.html
मार्कण्ड दवे
हिंदी की ज्यादा जानकारी न होते हुए भी आपने इतनी अच्छी हिंदी लिखी और हिंदी भाषा को सम्मान दिया मैं आपका तहे दिल से शुक्रिया करती हूँ आशा करती हूँ आप एसे ही हमारा उत्साह बढ़ाते रहेंगे |
शुक्रिया दोस्त |
बिलकुल सही कहा आपने परिवर्तन ही संसार का नियम है। ....सुंदर रचना
नए इतिहास बनाते है बदलते नहीं है यही प्रकति का नियम है ,सुन्दर आभिव्यक्ति .