‘‘सच्चाई-निर्भिकता, प्रेम-विनम्रता, विरोध-दबंगता, खुशी-दिल
से और विचार-स्वतंत्र अभिव्यक्त होने पर ही प्रभावी होते है’’
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संसार

3 comments
ये अपने विचारों का द्वन्द है , 
जीने दो उसको जो स्वछन्द है |
निराधार है सारी बातें ,
जिसमें  कोई सार  नहीं |
नाम के हैं सारे रिश्ते ,
जिसमें प्यार नहीं , सत्कार नहीं |
क्या बतलाएं उन जख्मों को ,
जिनके भरने की तो बात  नहीं |
हाहाकार है सारी दुनियां में ,
यहाँ जीने के आसार नहीं |
इस रंग बदलती दुनिया में ,
कौन  एसा है जो बेकार नहीं |
हाय - हाय का शोर है हरतरफ ,
कोई कोना भी आबाद नहीं |
बात कहने से बात बिगडती है ,
बातों में अब शिष्टाचार नहीं ,
कसम  खा लेने  भर से ...
मिट सकता भ्रष्टाचार नहीं |
हर तरफ नफरत की आग लगी है ,
जिसका कोई पारावार नहीं |

3 Responses so far.

  1. नाम के हैं सारे रिश्ते ,
    जिसमें प्यार नहीं , सत्कार नहीं |

    हरेक पंक्ति बहुत सार्थक और सटीक..बहुत सुन्दर प्रस्तुति..

  2. Anonymous says:

    Thanks for all your work.

  3. Anonymous says:

    des resultats plus favorables encore.

 
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