‘‘सच्चाई-निर्भिकता, प्रेम-विनम्रता, विरोध-दबंगता, खुशी-दिल
से और विचार-स्वतंत्र अभिव्यक्त होने पर ही प्रभावी होते है’’
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एक आम बेरोजगार आंदोलनकारी

4 comments

मुझे भी चाहिए दिल्ली का बिल
मुझे भी चाहिए भारत रत्न
मैंने भी की है भूख हड़ताल
चिल्लाया मैं भी भ्रष्टाचार-भ्रष्टाचार
मेरी आवाज डरा न पायी
क्यूंकि मीडिया के कान में जू न आई
तुमने धीरे से आवाज लगाई
गूंजी-गली-गली जैसे सहनाई
तुम हो सच्चे भारत रत्न अन्ना भाई
मीडिया और तुम हो भाई-भाई
मुझको भी उनका मित्र बना दो
जैसे तुमने की मेरी सेटिंग करा दों
भूषण बेटा-पापा को हीरो बनाया
मुझे तो बस उनका चपरासी बना दो

4 Responses so far.

  1. Anonymous says:

    i have visited this site a couple of times now and i have to tell you that i find it quite nice actually. keep it up!

  2. Anonymous says:

    impugna la prolongacion irresponsable de la vida,

 
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