‘‘सच्चाई-निर्भिकता, प्रेम-विनम्रता, विरोध-दबंगता, खुशी-दिल
से और विचार-स्वतंत्र अभिव्यक्त होने पर ही प्रभावी होते है’’
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वेलेंनटाइन्स पर वादा.....

3 comments


न घांव भर सकूंगा
न मरहम कर सकूंगा, पर
कोई जख्म जो लगा हो,
वो दर्द मैं सहूंगा।
हर अंधियारी रात तले
देख सुनहरा सवेरा।
बस थामले विश्वास की डोर
दिन की छाया हूं तुम्हारी
रात, हमसाया बन रहूंगा।

न गिला करूंगा,
न सिकायत तुम्हारी,
हर-पल, हर-कल, 
हर-कदम, हर-जगह
जहां तलक नजर चले
साथ चलूंगा,
बस विश्वास बनाये रखना,
दिन की छाया हूं तुम्हारी
रात, हमसाया बन रहूंगा।

3 Responses so far.

  1. वाह ||
    बहुत सुन्दर प्रेमपगी रचना....
    बेहतरीन रचना......

  2. बस विश्वास बनाये रखना,
    दिन की छाया हूं तुम्हारी
    रात, हमसाया बन रहूंगा।

    ....बहुत सुंदर प्रेममयी प्रस्तुति...

  3. बहुत सुन्दर रचना, खूबसूरत प्रस्तुति

    आपका सवाई सिंह राजपुरोहित
    एक ब्लॉग सबका

    आज का आगरा

 
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