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से और विचार-स्वतंत्र अभिव्यक्त होने पर ही प्रभावी होते है’’
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सोनिया क्या न्यायपालिका का प्रतिरूप बन गई है

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फोटो: newindianexpress.com
राजीव खंडेलवाल: असाम हिंसा की घटना पर सोनिया गांधी के पीड़ितो को सहलाने गई असाम दौरे के दौरान यह बयान कि दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए यह प्रश्न उत्पन्न करता है कि यह कड़ी सजा देगा कौन? जो कुछ असाम में घटित हुई इसकी सर्वत्र आलोचना हुई है। जिस प्रदेश से देश का प्रधानमंत्री प्रतिनिधित्व करता हो वहॉ अचानक यह शर्मनाक घटना का होना एक कलंक है। घटना के संबंध में बोडो आंदोलन से जुड़े व्यक्ति जो सरकार में शामिल है पर आरोप प्रत्यारोप लगे है। समय पर केंद्र सरकार की सेना की टुकड़ी का न पहुंचना भी आलोचना का शिकार बना हुआ है। इस सम्पूर्ण घटना में अपराधियों को पहचानकर सजा दिलाने की जिम्मेदारी या तो प्रदेश सरकार की है या केंद्र की सरकार की है। दुर्भाग्य से दोनो जगह उस कांग्रेस की सरकार है जिसकी मुखिया सोनिया गांधी है। सोनिया गांधी ने यह कथन नहीं किया कि उन्होने केंद्रीय सरकार या राज्य सरकार को उक्त घटनाओं में शामिल अपराधियों को पकड़कर तुरंत कार्यवाही करने के निर्देश प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री को दिये है। कांग्रेस पार्टी की सरकार होने के कारण न केवल राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते बल्कि यूपीए के मुखिया होने के नाते भी उन्हे कड़ी कार्यवाही के निर्देश देना चाहिये थे। इसके विपरीत उन्होने उनको सजा मिलनी चाहिए ऐसी इच्छा अपनी व्यक्त की उसी प्रकार जिस प्रकार माननीय न्यायालय कई प्रकरणों में कानून के प्रावधानों की कमी के कारण या उनका पालन प्रशासनिक तंत्र द्वारा न किये जाने के कारण उनके पास सीधे कार्यवाही के अधिकार न होने के कारण अपने निर्णयो में वे इस तरह के निर्देशो का उल्लेख करते है कि सरकार को या प्रशासनिक अधिकारियों को इस तरह के कार्य करने चाहिए या तथाकथित कमियों को दूर करने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए। इस तरह वे सरकार से ऐसे कदम उठाने की उम्मीद करते है जो यद्यपि आदेश नहीं होता है। वैसे ही विचार सोनिया गांधी ने व्यक्त किये जिसके पीछे कोई बल या इच्छा शक्ति का न दिखना से वह सिर्फ मात्र विचार ही प्रतीत होते है। इसके विपरीत न्यायालयों की इस प्रकार की प्रतिक्रियाओं में तो एक प्रकार का न्यायिक डर सम्मिलित होने के कारण उसका सरकार या प्रशासनिक तंत्र पर कुछ प्रभाव अवश्य पड़ता है। क्या सोनिया गांधी उक्त घटना पर राजनैतिक सोच से हटकर देश की एकता के लिए तुरंत समस्त आवश्यक कार्यवाही करने के कड़े निर्देश प्रधानमंत्री व असम के मुख्यमंत्री को देकर व कार्यान्वित करवाकर इसकी प्रतिक्रिया में देश के विभिन्न प्रांतो में फैल रही हिंसक व पूर्वोत्तर के लोगो के घटनाओं के पलायन को रोक कर देश की एकता को मजबूत और स्थिर बनाकर रखना होगी भविष्य उनकी ओर इस आशा की टकटकी से ही देख रहा है। 
(लेखक वरिष्ठ कर सलाहकार एवं पूर्व नगर सुधार न्यास अध्यक्ष है)
 
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