‘‘जादू की छड़ी’’ पर एक उच्चस्तीय जॉच रिपोर्ट पेश है, जिसमें ‘‘जादू की छड़ी’’ देश में किस नेता ने छुपा कर रखी है, उसका स्टिंग ऑपरेशन से खुलासा कृष्णा बारस्कर के नेतृत्व में उनकी टीम ‘‘स्वतंत्र विचार’’ आज आपके सामने पेश कर रही है।’’
कृष्णा बारस्कर, बैतूलः
दोस्तों हालाकि भारत एक लोकतांत्रिक देश है, कोई सरकश या जादू का शो नहीं है फिर भी सरकश और जाूदगरों से सम्बधिंत एक चीज है यहां पर, जो बहुत ही प्रशिद्ध और पूरे देश में सबसे बड़ी ‘‘मोस्ट वांटेड है’’। उस चीज की अहमीयत का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते है कि उसे ढूण्डने के लिए देश के प्रधानमंत्री तक की जॉच कर ली गई और उन्हे भी देश के सामने बारम्बार सफाई देनी पड़ी की वह चीज मेरे पास नहीं है, और वे खुद भी इसे गम्भीरता से ढूण्ड रहे है। उस चीज का नाम बता देते है, उसका नाम है ‘‘जादू की छड़ी’’। जॉच में पता चला है कि ‘‘जादू की छड़ी’’ हमारे ही देश में किसी नेता के पास है।
बड़ी काम की चीज है ये ‘‘जादू की छड़ी’’
लोग कहते है कि इस ‘‘जादू की छड़ी’’ नाम की चीज में बड़ा दम है। यह देश की सभी आम और खास लोगो की हर समस्या का इलाज है। जब यह चलेगी तो देश की सारी समस्याएं खतम हो जाएंगी और सम्पूर्ण देश खुशहाल और सम्पन्न हो जाएगा। इतनी कीमती छड़ी आखिर है किसके पास? जिसने भी यह छड़ी छुपाई है उसने बड़ा ही गम्भीर कानूनन अपराध किया है, इतनी कीमती चीज को छुपाकर कहा रखा गया है। जाने कितने ही वर्षो से राष्ट्र की सरकारी मशीनरी सहित देश के आम नागरिक इस छड़ी को ढूण्डने में दिन रात एक किये हुए हैं।
आओं हम भी ढूण्डे जादू की छड़ीः
भई सम्पूर्ण राष्ट्र जिस वस्तु को ढूण्ड रहा हो तो हम भी आखिर देश के जिम्मेवार नागरिक है। हमें भी उस कीमती चीज को ढूण्डने में देश की मदद करनी चाहिए ना? तो हमने भी ‘‘आम नागरिक’’ के रूप में इसे ढूण्डने की कोशीष की। आपको भरोषा दिलाने के लिए अपनी जॉच रिपोर्ट पेश हैः-
(नोटः- चूंकि इस छड़ी के जिनके पास होने की सम्भावना है, वे लोग बहुत ही गरीमामय और सम्माननीय नागरिक है। उनपर छड़ी चोरी का आरोप लगाकर उनकी जॉच करना और उनसे पूछताछ करना सम्भव न होने के कारण हमने अपनी जॉच में ऐसे मुद्दे, और समस्याएं लेकर गये जो सिर्फ और सिर्फ ‘‘जादू की छड़ी’’ से ही खतम हो सकते है। अगर वे समस्या का त्वरित समाधान करदे तो झट समझ आ जायेगा की छड़ी उन्हीके पास है। वरना उन्हे हमें क्लिन चिट देनी होगी अतः उनके नाम के आगे स्पष्ट क्लिन चिट लिखा होगा)
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंहः क्लिन चिट
हम सबसे पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी के पास गये। वे पिछले 10 वर्षो से प्रधानमंत्री है और काफी समस्याएं उन्होने सुलझाई है, हालांकि आज देश के लिए वो खुद एक बड़ी समस्या है। उनके पास हम महंगाई का अहम मुद्दा लेकर गये जिसने आम नागरिकों का जीना दुभर कर रखा है।
अरे भाई हम तो मनमोहन को देश का सबसे मंदबुद्धी नेता समझते थे पर वह बहुत ही इंटेलिजेंट निकले। हमारे समस्या बताने से पहले ही वे झट समझ गये की हम आखिर जानना क्या चाहते है, उन्होने तपाक से हमें ऐसा उत्तर दिया की हमें समस्या के समाधान और जादू की छड़ी दोनो का उत्तर मिल गया। उन्हाने साफ-साफ कह दिया कि- ‘‘हमारे पास कोई जादू की छड़ी नहीं है, जिससे महंगाई पर काबू किया जाये’’। उनके द्वारा अपने आप को इस प्रकार से ‘‘क्लीन चिट’’ दिये जाने से साफ हो गया कि ‘‘जादू की छड़ी’’ उनके पास तो नहीं ही है।
सोनिया गांधीः क्लिन चिट
फिर हमने सोचा कि मनमोहन जी की बॉस सोनिया जी है। शायद सोनिया जी के पास ‘‘जादू की छड़ी’’ हो और उन्होने मनमोहन जी को दी ही नहीं हो, यह सोचकर की चूंकि मनमोहन भोले-भाले है कही कोई हथियां न ले उनसे ‘‘जादू की छड़ी’’। हमने महंगाई के ही विषय के बहाने से उनसे जानने की कोशीष की तो वो भी समझ गई की महंगाई तो बहाना है, हम तो सोनिया जी से छड़ी के बारे में जानना चाहते है, तो उन्होने भी कह दिया किया कि ‘‘जादू की छड़ी उनके पास भी नही हैं’’ और महंगाई रोकने की जिम्मेदारी राज्य सरकारें लें।
राहुल बाबाः क्लिन चिट
उसके बाद हम सोचा कि मनमोहन, सोनिया के बाद सबसे जिम्मेदार राहुल बाबा है। वो अपने ‘‘वेलोसिटी प्लान’’ के लिए ‘‘जादू की छड़ी’’ ले गये हो ताकी देश के सारे गरीबो को अंतरिक्ष की शैर करा सके। पहले तो वों दो घण्टे यही समझाने की कोशीश करते रहे की आखिर ये ‘‘जादू की छड़ी’’ होती क्या है, इसके क्या-क्या फायदे और क्या नुकसान है। जैसे ही वो अपने ‘‘वेलोसिटी प्लॉन’’ और गरीबी पर भाषण देने लगे तो हम समझ गये की जादू की छड़ी यहां भी नहीं है।
शीला दीक्षितः क्लिन चिट
इसी तारतम्य में शीला दीक्षित जो की दिल्ली की मुख्यमंत्री थी, उनके पास गये की भई ये प्याज के रेट तो सचित तेंदुलकर बने जा रहे है, बार-बार सेंचुरी मार रहे है। भई सारे नेताओं में हमारी टीम को शीला जी ही ज्यादा ईमानदार नजर आई। चूंकि उन्होने ईमानदारी से हकिगत सामने रखते हुए बता दिया कि उनके पास ‘‘जादू की छड़ी नहीं है’’। चुनाव के पहले इतनी हिम्मत तो विरले ही नेता दिखा सकते है। ‘‘ जादू की छड़ी’’ नहीं होते हुए भी भी उन्होने थोड़ी राहत देने के लिए मेहनत की और थोड़े से प्याज दिल्ली में बांटनें की कोशीश की। ‘‘जादू की छड़ी’’ नहीं होने के कारण दिल्ली की जनता ने ‘‘शीला दीक्षित’’ को नकार दिया और सत्ता से बाहर ही कर दिया।
रघुराम जी राजनः क्लिन चिट
इसके बाद हमें लगा की रिजर्व बैंक गवर्नर नियुक्त किये गये रघुराम जी राजन को सबसे ज्यादा जादू की छड़ी की जरूरत पड़ती है चूंकि वही रिजर्व बैंक में एक हजार के नोट को 100 में बदलने के उपाय करते रहते है। हम उनके पास अर्थव्यवस्था का बहाना लेकर गये तो उनका दर्द भी फूट पड़ा उन्होने भी कह दिया कि ‘‘अर्थव्यवस्था के समक्ष खुली चुनौतियों से देश को तुरंत बाहर निकालने के लिये उनके पास कोई जादू की छड़ी नहीं है। उन्होंने कहा भारतीय अर्थव्यवस्था के लिये यह चुनौतीपूर्ण समय है, इनसे निपटने के लिये सरकार और रिजर्व बैंक मिलकर काम कर रहे हैं।’’
अन्य सरकारी नेताः क्लिन चिट
इसी विषय को लेकर हम कांग्रेस के सेकण्ड लाईन के नेताओं के पास गये। क्यूंकि वो लोग फ्री का माल डकारने और हेरा-फेरी में अव्वल माने जाते है तो जब हम अभिषेक मनु सिंघवी के पास गये तो वो भी अपने बचाव में बोल ही पड़े- ‘‘हमारे पास कोई जादू की छड़ी तो है नहीं’’। इसी तरह हमने कांग्रेस के सारे नेताओं से पूछ लिया और सबका यही जवाब मिला कि जादू की छड़ी उनके पास नहीं है।
अरविंद केजरीवालः क्लिन चिट
जिस प्रकार अरविंद केजरीवाल ने रातो-रात पार्टी बनाकर और जोरदार प्रचार अभियान चलाया। उन्होने दिल्ली की जनता को विश्वास दिला ही दिया कि वे मुख्यमंत्री बनते ही चुटकियों में दिल्ली का नक्शा ही बदल देंगेें। रातों-रात सारी समस्याओं का हल निकाल लेंगे और जनता को लगा की निश्चित ही अरविंद केजरीवाल जादू की छड़ी दबाके बैठे है, ताकि खुद जब मुख्यमंत्री बनेंगे तो जादू से सबकुछ ठीक करके अन्ना हजारे के हिस्से का भी सारा श्रेय ले लेंगे। जनता को लगा कि केजरीवाल जैसे ही मुख्यमंत्री बनेंगे वों जादू की छड़ी निकालकर और पूरी दिल्ली को पेरिस बना देंगे। जनता ने भी काफी आशाएं पाल ली और अरविंद को सरकार बनाने का मौका दे ही दिया। जैसे ही जनता ने अरंविद को ‘‘जादू की छड़ी’’ निकालने के लिए कहा तो तुरंत अरविंद ने भी पलटी मार दी और बोलने लगे कि ‘‘दिल्ली को सुधारने और उसे अच्छा बनाने के लिए हमारे पास कोई ‘‘जादू की छड़ी’’ नहीं है। हम दिल्ली को अकेले नहीं सुधार सकते और हम सबको मिल-जुलकर काम करना होगा।’’ हद हो गयी जहां सब बिना मेहनत के चुटकियों में जादू से सबकुछ ठीक होने की उम्मीद पाले बैठे थे उनके सपनों पर पानी फिर गया। ये तो दिल्ली की जनता के साथ सरासर धोखा हो गया। जब अरविंद के पास जादू की छड़ी नहीं थी तो उन्होने पहले क्यूं नहीं बताया?
हैरी पॉटरः क्लिन चिट
भई हैरी पॉटर की फिल्में तो सभी देखते हैं, सब जानते हैं कि एक ‘‘जादू की छड़ी’’ ‘‘हैरी पॉटर’’ के पास भी नजर आती है। हमकों लगा कि हैरी ने कहीं हमारी ‘‘जादू की छड़ी’’ तो नहीं चुरा ली? पर उनके पास भी जाकर निराश ही होना पड़ा उन्होने बताया कि उनकी जादू की छड़ी घूम जाने के कारण उन्होने ‘‘जादू’’ वाली फिल्में ही बनानी बंद करदी, उन्होने अपनी सफाई में कहा कि छड़ी ही नहीं होगी तो वे फिल्म में स्टंट कैसे केरेंगे, इसलिए हैरी पॉटर से सम्बंधित फिल्में बंद कर दी गई।
राजनाथ सिंहः पृथम दृष्टया आरोपी
जब चारो ओर से हम थक हारकर चूर हो गये तो हमने फिर दिमाग पर जोर लगाया और सोचा कि यार अगर पूरे सत्तापक्ष में जादू की छड़ी नजर नही रही, तो फिर कहां होनी चाहिए ‘‘जादू की छड़ी’’। तब अचानक हमारा दिमाग ठनका कि गुजरात के बारे में आये दिन सुनते रहते है कि वहां खूब काम हो रहे है। महंगाई, रोजगार, विकास, प्रकाश सहित जनता के सारे मसले चुटकियों में और बड़े से बड़े प्रोजेक्ट रातो-रात हल हो जाते है। हमें शक हुआ ‘‘नरेंद्र मोदी’’ पर क्यूंकि ये व्यक्ति बड़ा ही छुपा रूस्तम है। पूछो तो बताता कुछ नहीं है और बहुत कुछ करके दिखा देता है, मतलब निश्चित ही वो ‘‘जादू की छड़ी’’ पर कुण्डली मार कर बैठा हो सकता है।
जॉच करते हुए हम ‘‘नरेंद्र मोदी’’ की मुम्बई रैली तक पहुंच गये। वहां पर पूरी सच्चाई से पर्दा उठ गया और दोषी भी हमारे सिकंजे में आ गया। हमारी सघन ससच्चाई पर से पर्दा उठाया बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ‘‘राजनाथ सिंह जी’’ ने उन्होने अपने भाषण में नरेंद्र मोदी जी की पोल खोलते हुए बता ही दिया कि ‘‘सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री कहते हैं कि हमारे पास जादू की छड़ी नहीं है, जो महंगाई को रोक दे। अगर नहीं है, तो आप अटल बिहारी वाजपेयी के घर जाइये और उनसे मांगिये जादू की छड़ी। लेकिन वहां भी वो छड़ी मिलेगी नहीं, क्योंकि अटल जी ने वह छड़ी अब नरेंद्र मोदी को दे दी है।’’
सच्चाई जानकर एक बारगी तो मेरे मन में आ ही गया था कि क्यूं न ‘‘भारतीय जनता पार्टी’’ पर ‘‘चोरी’’ और ‘‘जमाखोरी’’ का मुकदमा दर्ज करा दू? उन्होने किया ही ऐसा काम है। जिस जादू की छड़ी को पूरी केंद्र सरकार सहित देश की पूरी जनता ढूण्डने में लगी हुई है। वह जादू की छड़ी ‘‘नरेंद्र मोदी जी’’ दबाकर बैठे है, और हद है, भारतीय जनता पार्टी भी अभी तक एक ऐसे आदमी को छुपाये बैठी थी जिसके पास जादू की छड़ी है। पहले ही मोदी जी को ‘‘प्रधानमंत्री’’ बना दिया होता तो वो कब का देश को चमन बना देते, और हमें बार-बार मनमोहन, सोनिया से यह भी नहीं सुनना पड़ता की ‘‘हमारे पास जादू की छड़ी नहीं है।’’
हालाकि अब भाजपा ने अपने ‘‘जादू की छड़ी’’ धारी योद्धा को अंततः मैदान में उतार दिया है और वादा किया है कि जैसे ही देश सेवा का अवसर मिलेगा वो अपनी ‘‘जादू की छड़ी’’ का उपयोग अच्छे से करके दिखाएंगे। हालाकी मोदी कहते हे कि वो अपने नेतृत्व से देश को इतना सक्षम बना देंगे कि किसीको ‘‘जादू की छड़ी’’ की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। ऐसे में में जनता को फैसला करना है कि मौका दे या न दे, जनता जानती है।
अंततः
सरकारे देश की समस्याएं हल करना तो चाहती है। लेकिन समस्या ये है कि वे हर समस्या का समाधान ‘‘जादू की छड़ी’’ में देखती है। मेहनत करना उनके बस में है नहीं लगता, ताउम्र जनता की गाढ़ी कमाई मुफ्त में खाने की आदत जो बन गई है। उन्हे एक जादू की छड़ी दे दों बस, तब वों सारे काम चुटकियों में कर देंगे। अगर उनके पास ‘‘जादू की छड़ी’’ होती तो सभी समस्याएं फटाफट हल हो जातीं। जादू से ही सारी ‘‘सड़के’’ बन जाती ‘‘महंगाई’’ कम हो जाती ‘‘बिजली’’ आ जाती, युवाओं को रोजगार मिल जाता। देश की सारी समस्याओं की जड़ है ये ‘‘जादू की छड़ी’’।
(नोटः- लेख मंे नेताओं के रिफरेंस में लिखा हुआ प्रत्येक शब्द अक्षरस उनके मुह से निकला हो यह दावा हम नहीं करते। यह एक व्यंग्य लेख है और यह सम्भव है कि किसी बात पर मिर्च मशाला लगाकर परोसा गया हो, किसीको तीखा लगे तो वो दिल पर न ले और नमक या शकर डालकर चटखारे लेकर व्यंग्य का स्वाद लें। )
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शुक्रवार (27-12-13) को "जवानी में थकने लगी जिन्दगी है" (चर्चा मंच : अंक-1474) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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