भ्रष्ट्राचार, महंगाई बेरोजगारी को लेकर कांग्रेस की नाक में दम करने वाले अरविंद केजरीवाल अब बदले-बदले से नजर आ रहे है। उन्होने इन्ही मुद्दों के आधार पर ‘‘आम आदमी पार्टी’’ का गठन किया ‘‘कांग्रेस’’ पानी पी-पीकर कोसा और चुनाव जीते। फिर पलटते हुए देश की उसी सबसे भ्रष्टाचारी पार्टी से हाथ मिला लिया और सत्तासुख भोगा। परन्तु कुछ दिनों से उन्होने अचानक यू-टर्न लेते हुए अब अपनी तोप का मुह सीधे नरेंद्र मोदी की तरफ कर दिया। अब वे अपने राजनैतिक उद्भव के मूल एजेंडे को छोड़कर एक ऐसे मुद्दे के पीछे भिड़ गये जो उनके एजेण्डे में कभी था ही नहीं। कुछ लोग इसे सोची-समझी रणनीति के तहत उठाया गया कदम मानते है, कुछ इसे कांग्रेस के साथ हुई साठगाठ का नतीजा मानते है, कई लोग इसे विदेशी संड़यंत्र तो कई लोग इसे राजनैतिक पहचान बनाने की कवायद मात्र मानते है। केजरीवाल की मंशा क्या है यह तो कोई नहीं जानता लेकिन जो आम आदमी केजरीवाल से देश के मूल मुद्दों को लेकर जुड़ा था उनके मन में तो यही सवाल बार-बार आता है ‘‘क्या नरेंद्र मोदी है देश के सबसे बड़े भ्रष्ट्राचारी’’?
नरेंद्र मोदी की ही खिलाफत क्यों?
अरविंद केजरीवाल ने मंशा जाहिर की है कि वे नरेंद्र मोदी जी के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। इससे वे जनता के बीच क्या मेसेज देना चाहते है? क्या अब कांग्रेस देश की सबसे ईमानदार पार्टी है? क्या अब 2जी, 3जी, कोल ब्लॉक, कॉमनवेल्थ घोटाले खतम हो गये क्या इनसे देश का हुआ नुकसान की भरपाई हो गई। क्या नरेंद्र मोदी देश के सबसे भ्रष्ट नेता है? अगर है तो केमरा नचनिया केजरीवाल ने आज तक किसी प्रेस काम्फरेंस में इसका खुलासा क्यों नहीं किया यह समझ से परे है।
‘‘आप’’ की मंशा क्या ह?:
अन्ना हजारे का भ्रष्ट्राचार और जनलोकपाल आंदोलन में जब जनता जोर-शोर से जुड़ी तो कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था कि यह आंदोलन एक दिन राजनैतिक स्वार्थ की भेंट चढ़ जायेगा। अन्ना आंदोलन को संघ और नरेंद्र मोदी समर्थकों ने पूर्णरूप से सहयोग दिया, यही देखते हुए लोग अन्ना से जुड़ते चले गये। आंदोलन के समय अरविंद केजरीवाल चिल्ला-चिल्लाकर कहते थे कि कांग्रेस ने देश को लूट लिया, यह सबसे भ्रष्ट पार्टी है, वहीं दावा करते थे कि उनके पास कांग्रेस के नेताओं के खिलाफ पुरे सबूत है और उन्हे जेल में पहुचाकर ही दम लेंगे।
अन्ना आंदोलन को तोड़ते हुए अरविंद केजरीवाल ने आंदोलन के मूल मुद्दों को आधार बनाकर ‘‘आम आदमी पार्टी’’ का गठन किया। चूंकि लोग आंदोलन से तन-मन-धन से पूर्णरूप से जुड़ चुके थे इसलिए उन्हे अरविंद के नये कदम पर भी विश्वास हो गया। अरविंद जनता को हश्वास दिलाने में कामयाब हो गये कि वे सरकार बनाते ही सारे भ्रष्टाचारियों को जेल में डाल देंगे। जनता ने चुनाव में उन्हे उत्साहवर्धक समर्थन दिया। पर यह क्या केजरीवाल ने तो उसी पार्टी से हाथ मिला लिया जिसे वह देश की सबसे भ्रष्ट पार्टी कहकर चुनाव लड़े थे।
पलटीबाज:
कुछ लोग केजरीवाल को बहुत ही चालाक और झूठा कहने में भी गुरेज नहीं करते। इसके पीछे मूल कारण है केजरीवाल अपनी बात से पलटने के लिए जाने जाते है, वे कब कौनसी बात बोल देंगे और पलट जायेंगे कोई नहीं बता सकता। वे अपने प्रचार के लिए ऐसे तिकड़म भिड़ाते रहते है जिससे वे लगातार मीडिया की नजरों में छाये रह सके। इसके लिए वे उल्टे-सीधे-बेतुके बयान जारी करना, फिर पलट जाना। रोड पर हंगामा करना, विरोधी पार्टियों के कार्यालयों पर पथ्थर चलवाना फिर माफी मांगना, जो भी प्रचार दिला सके सब करते है।
तो क्या मोदी जी की खिलाफत मात्र एक प्रचार स्टंट है?
कुछ लोग मानते है कि केजरीवाल का मोदी विरोध मात्र एक प्रचार स्टंट मात्र है। चूंकि नरेंद्र मोदी देश के प्रचलित नेता है, तो उनपर किया गया प्रत्येक बयान देश में तुरंत प्रतिक्रियायें आती है और अपने आप पुरे देश में संदेश चला जाता है, इसलिए देश के ज्यादातर नेता अपना राजनैतिक धरातल बनाने के लिए मोदी विरोध का ही सहारा लेते है। अतः ऐसा हो सकता है कि केजरीवाल का मोदी विरोध भी मात्र एक पब्लिसिटी स्टंट ही हो।
और अंत में
नरेंद्र मोदी भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नहीं माने जाते बल्कि जनता द्वारा भाजपा को मजबूर किया गया ताकि नरेंद्र मोदी को उम्मीदवार बनाया जा सके। ऐसे में अरविंद केजरीवाल को जनता के सामने यह साफ करना चाहिए कि क्या उनका राजनीति में आने का केवल और केवल एकमात्र मकसद ‘‘नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनने से रोकना’’ था? यदि ऐसा था तो उन्होने इतना बड़ा आंदोलन खड़ा करने की बजाये सीधे राजनीति में कदम क्यूं नहीं रखा? क्या वे भी अन्य क्षेत्रीय पार्टियों की तरह कांग्रेस की कठपुतलीमात्र है जिसे डेमेज कंट्रोल के लिए खड़ा किया गया है? ताकि कांग्रेस विरोधी लहर भाजपा के पक्ष में न जाकर अरविंद केजरीवाल के माध्यम से वापस कांग्रेस के पास ही आ जाये? या जैसा कुछ लोग कहते है कि अरविंद केजरीवाल को अमेरिका फाइनेंस कर रहा है ताकि भारत को अस्थीर करके फायदा उठाया जा सके? ऐसे बहुत से सवाल है जिनके जवाब अरविंद से आने बाकी है।
किसी ने देश की घटिया राजनीति के बारे में एक सच कहा है कि ‘‘यह ऐसा पहला चुनाव है जिसमें, सारी पार्टिया विपक्ष के खिलाफ लड़ रही है, न की सत्ता पक्ष।’’ लगता है विपक्ष ने ही किया है जो कुछ किया है, सत्तापक्ष तो बेचारा निर्दोष था..
Bhai, pehle ye bata ki kisaano ki zameen kyun di modii ne ek dollar k rate pe adani ko..usme modi ka kya cut hai..pehle iska jawab dila humein
आप जो भी हो,
देश में मुद्दा ये नहीं है की अदानी को किसने किस भाव से जमीन दी, मुद्दा ये है की देश से भ्रष्टाचार कैसे मिटे, आतंकवाद और नक्सलवाद कैसे मिटे जिन्हें अरविन्द केजरीवाल समर्थन दे रहे है.
अदानी ने उस से कई लाख गुना देश को वापस कर दिया है वो भी बतावो जनता को ..
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