राजीव खण्डेलवाल:
भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार और 300 सीटो से अधिक पर विजय का दावा करने वाले नरेन्द्र मोदी के उक्त व्यक्तव्य से आपको क्या हैरानी नही होती है? आखिर दलजीत सिंह कोहली है कौन? क्या आप इन्हे जानते है ?भाजपा में शामिल होने के पूर्व अभी तक आपने इनका नाम कभी सुना? इसका उत्तर नही मे ही होगा। दलजीत सिंह कोहली शख्स न होकर भी ''शख्स'' है क्योकि वे वर्तमान प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह के सौतेले भाई है। भगतसिंह से लेकर चंद्रशेखर आजाद, मदनमोहन मालवीय ('' पं. मदनमोहन मालवीय के पोते न्यायाधीश मालवीय जी नरेन्द्र मोदी जी के प्रस्तावक बने ) आदि जैसे परिवार का कोई व्यक्ति जब भाजपा में शामिल होता है तो निश्चित रूप से भाजपा मजबूत होगी, क्योकि ऐसे व्यक्तियों व परिवारो का देश के स्वाधीनता आंदोलन में अभूतपूर्व अतुलनीय योगदान रहा है।
डा. मनमोहन सिंह इस देश के न केवल इस सदी के बल्कि स्वाधीन भारत के इतिहास के सबसे असफल,कमजोर, मौन और रिमोट से चलने वाले प्रधानमंत्री सिद्ध हुए है। सबसे ताकतवार र्,आिर्थक विशेषज्ञ नौकरशाह माने जाने वाले मनमोहन सिंह के नेतृत्व में देश की आर्थिक स्थिति कैसी रही,यह किसी से छिपी हुई नही है। यह आकलन अन्यो के साथ, भाजपा और नरेन्द्र मोदी स्वयं का रहा है जिन्होने मनमोहन सरकार को सबसे भष्ट, घोटालो से पूर्ण, मंहगाई रोकने में पूर्णतः असफल और अािर्थक और विदेश नीति पर असफल सरकार का प्रमाण पत्र दिया है। वैसे भी कई ''भाइयो'' को भाजपा ने उत्तरप्रदेश व बिहार में शामिल किया है। ऐसे प्रधानमंत्री के भाई के आने से भाजपा कैसे मजबूत हेागी, इसका फार्मूला नरेन्द्र मोदी ही बता सकते है। फूलनदेवी, ऐ, राजा, सुरेश कलमाडी के परिवार के सदस्य के भाजपा में आने से क्या भाजपा मजबूत होगी? तो मनमोहन सिंह के भाई के आने से भाजपा कैसे मजबूत हो जायेगी, यह जादूई चिराग सिर्फ शायद नरेन्द्र मोदी जी के ही पास होगा।
यह बात बिल्कुल समझ से परे है कि भाजपा जब 273 प्लस या 300 से अधिक सीटो पर 16 मई को होने वाले परिणाम मे जा रही है, ऐसा कई पंडितो मीडिया व भविष्यवक्ताओ का आकलन है। स्वयं भाजपा व नरेन्द्र मोदी का भी यही दावा है।तब फिर वह जगदिम्बका पाल सरीेखे से लेकर अनेक विभिन्न पार्टियेा के भ्रष्ट और आपराधिक छवियो के व्यक्तियेा को भाजपा में शामिल कर लोकसभा की टिकट देकर उन क्षेत्रो के भाजपा के कार्यकर्ताओ, नेताओ और दावेदारो की छाती पर क्यो मूंग दल रही है। यह झोभ कई कार्यकर्ताओ के मन में उत्पन्न हो रही है। अपने सगो को छोडकर(जसवंत सिंह) सौतेलो को शामिल करवाकर गुणात्मक कुन्बा नही बढेगा। क्येा नही भाजपा धारा 370, राम मंदिर निर्माण और कामन सिविल कोड के मुददे, जो उसकी अस्मिता को पहचान देते है, के आधार पर जनता के बीच नही जा रही है, यह समझ से परे है।इसके पूर्व इन मुददो पर भाजपा का यही कथन था कि चूकि सरकार एनडीए की थी और भाजपा को पूर्ण बहुमत नही था इसलिए उन मुददो को वह लागू नही कर सकती है। आज जब भाजपा 372 प्लस की बात कर रही है, तब वह उन मुददो पर क्यो नही जनता से बात कर रही है? यह उन कार्यर्ताओ के साथ विश्वासधात नही है जिन्होने इन मुददो पर अपना जीवन सर्वागंीण न्यौछावर कर दिया है। इसलिए अभी भी समय है जिस प्रकार भाजपा ने बगैर एजेन्डा के प्रथम फेस चरण के चुनाव को लडा, जो जनसंघ से लेकर भाजपा के इतिहास की सबसे बडी अकल्पनीय घटना हुई है।यदि आज भी भाजपा शेष बचे चरणो के चुनाव मे प्रमुखता से उन मुददो पर जनता के बीच जाकर वोट मांगती है, तो कांग्रेस द्वारा अल्पसंख्यक के आरक्षण के मुददे को जो बीच मे जनता के बीच लाया है, का करारा जवाब होगा।
(लेखक वरिष्ठ कर सलाहकार एवं पूर्व नगर सुधार न्यास अध्यक्ष है)
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