Rajeeva Khandelwal:
पिछले लगभग बीस दिनो से आई पी एल के पूर्व कमिश्नर ,खेल प्रशासक ,उधोगपति ललित मोदी के संबध में ललित गेट स्केडल (कांड) की भागवत कथा लगातार न्यूज चेनल्स व समाचार पत्रों में आ रही है। खासकर ‘‘टाईम्स नाऊ’’ न्यूज चेनल्स ने ललित गेट काड़ में कुछ अनछुये पहलुओं को सामने लाने का प्रयास किया है। लेकिन कई बार अति उत्साह में जो गलती व्यक्ति से हो जाती है ,अर्नब गोस्वामी ‘‘मुख्य संपादक टाईम्स नाऊ’’ भी वही गलती कर रहे है। जिस प्रकार विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अति उत्साह में ललित मोदी (भगोड़ा) की सहायता को मानवीय संवेदनाओं का रूप देने का प्रयास किया, वही गलती अर्नब गोस्वामी ने ललित गेट कांड में सुषमा स्वराज पर आचार संहिता (कोड़ ऑफ कंडक्ट) के उल्ल्घन का आरोप लगा कर किया।
कल दोपहर से ललित मोदी के पिता के के मोदी जो कि इंडोफिल कंपनी के सी एम डी है से ‘‘टाईम्स नाऊ‘‘ के मुख्य संपादक अर्नब गोस्वामी की टेलीफोन पर हुई बातचीत में जैसे ही के के मोदी ने यह कहा कि सुषमा स्वराज के पति स्वराज कौशल को वकील की हैसियत से कंपनी द्वारा भुगतान किया गया है, वे कंपनी के रिटेनर की हैसियत से वकील हो सकते है। वैसे ही अर्नब गोस्वामी द्वारा ‘‘टाईम्स नाऊ’’ में ब्रेकिग न्यूज के रूप में यह न्यूज चलाई जाने लगी कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के पति स्वराज कौशल को मोदी की कंपनी के द्वारा फीस का भुगतान होने के कारण कंपनी के पे रोल पर होने से इस तथ्य की जानकारी क्या सुषमा स्वराज द्वारा प्रधानमंत्री को दी गई थी। यदि हांॅ तो प्रधानमंत्री इसका जवाब दंे। यदि नहीं तो सुषमा स्वराज द्वारा प्रधानमंत्री को यह जानकारी न देना क्या उनके द्वारा कोड ऑफ कंडक्ट के नियम का घोर उल्लघंन नहीं है? यह प्रश्न अर्नब गोस्वामी की कार्यशैली पर ही प्रश्न उत्पन्न करता है। विवेचना के इसी बिंदु पर आगे चर्चा की जा रही है।
ललित गेट के सुषमा स्वराज से लेकर वसंुधरा राजे तक के विभिन्न पहलुओं व मुद्देा की विवेचना पर न जाकर ,अभी मै मात्र अर्नब गोस्वामी के उक्त स्टेण्ड पर सबका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूॅ। वास्तव में स्वराज कौशल को मिली फीस की राशी की जानकारी उनके पति विदेश मंत्री सुषमा स्वराज द्वारा प्रधानमंत्री को न देना आचार संहिता (कोड ऑफ कंडक्ट) का बिलकुल उल्लंघन नहीं है। ‘संघ’ ‘राज्य’ व केन्द्र प्रशासित राज्यो के मंत्रियों के लिए कोड़ ऑफ कंडक्ट का कोई कानून या लिखित नियम नहीं है। बल्कि यह केन्द्रीय सरकार के गृह विभाग द्वारा जारी एक परिपत्र है जो भारतीय संविधान व जन प्रतिनिधत्व अधिनियम 1951 के अलावा मंत्रियों के आचरण के संबंध मे जारी किया गया मात्र दिशा निर्देश भर है जो नैतिक बल तो रखता है परन्तु कानून नहीं। उक्त परिपत्र के अनुछेद 3(2) केा यदि सावधानी पूर्वक पढ़ा जाय तो उसके अनुसार केन्द्रीय मंत्री ,राज्य या केन्द्रशासित प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं अन्य मंत्री या उन पर ‘‘निर्भर व्यक्ति’’(डिपेन्डेंट) भारत में या विदेश में कोई विदेशी सरकार के संगठन में रोजगार को प्रधानमंत्री की पूर्व अनुमति के बिना स्वीकार नहीं कर सकते है। ़(जहॉ) वे पत्नी या मंत्री पर निर्भर व्यक्ति पूर्व से ही रोजगार में है वहॉ पर उक्त रोजगार से संबधित मामले को प्रधानमंत्री केा (रोजगार चालू रखा जाय या नहीं के लिये) रिपोर्ट किया जाना चाहिए। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि स्वराज कौशल को यदि ललित मोदी की कंपनी में रोजगार पर मान भी लिया जाये तो भी चूॅकि वे मंत्री की पत्नी नहीं है बल्कि वे मंत्री के पति हैै तथा मंत्री पर निर्भर व्यक्ति नहीं है व इडोफिल कंपनी विदेशी कंपनी नहीं है इसलिए उन पर यह आचार संहिता का नियम लागू नहीं होता है। इस प्रकार उक्त तथ्य के उजागर होने के बावजूद भी प्रस्तुत मामले में किसी भी तरह का कोड ऑफ कंडक्ट का उल्लघंन नहीं होता है। इस विषय में अर्नब गोस्वामी द्वारा उक्त कोड ऑफ कंडक्ट को पढे बिना जो ब्रेकिग न्यूज चलाई गई वह सत्य से परे होने के कारण विदेश मंत्री की इमेज को अनावश्यक रूप से बदनाम करने वाली है। इससे क्या यह निष्कर्ष भी नहीं निकाला जा सकता है कि इसी तरह से गलत विवेचना कही ललित गेट के अन्य मुद्दो पर भी तो नहीं की गई है?
अब उबन सी हो रही है ललित गेट को लेकर । भारतीय जनमानस पक और थक चूका है इसे लेकर...बदनामी ने इनका नाम किया है।