‘‘सच्चाई-निर्भिकता, प्रेम-विनम्रता, विरोध-दबंगता, खुशी-दिल
से और विचार-स्वतंत्र अभिव्यक्त होने पर ही प्रभावी होते है’’
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हम साबित करे ही क्यों?

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भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान अधिकृत कस्मीर में घुसकर ‘‘सर्जिकल स्ट्राइक’’ की। जिसकी चर्चा पूरे दुनिया में छाई हुई है। ‘‘सर्जिकल स्ट्राइक’’ होने या न होने पर बड़ी-बड़ी चर्चाये चल  रही है। लोगो की बातों से इतर भारतीय सेना ने खुलकर इस बात को स्वीकारा। परन्तु सबसे अचम्भित करने वाली बात यह है कि पाकिस्तान सहित बहुत से भारतीय सेक्युलर बुद्धिजीवी इस बात को
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मानने को तैयार ही नहीं है। हालत ये है कि भारतीय सेना से ही सबूत मांगे जा रहे है।
हनुमान जी ने अकेले जाकर रावन की अशोक वाटिका उजाड़ दी थी, असंख्य राक्षस मार दिये और लंका जला दी थी। क्या होता अगर रावण बोल देता की अशोक वाटिका उजड़ी ही नहीं, कोई राक्षस मरा नही, लंका जली नहीं और हनुमान जी तो लंका आये ही नहीं! 
जरा-जरा सी बात पर भारत पर आरोप लगाकर बेचारा बनने वाला पाकिस्तान इस बार जिस प्रकार हमारी सेना के पराक्रम को नकार रहा है। निश्चित ही अपने-आपके लिए कब्र खोद रहा है। भारतीय सेना को इससे नुकसान होने के बजाय फायदा ही होने वाला है। इससे हमारे लिए और भी रास्ते खुलने जा रहे है। यदि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद आगे भी जारी रहा तो ऐसी ही कार्यवाहियों के माध्यम से पाकिस्तान में घुसकर आतंवादी ढांचो को ढहाये जाने के विकल्प भारतीय सेना के पास खुले है। इसी तरह भारत में अपराध कर पाकिस्तान में पनाह लिए असंख्य अपराधियों को भी ऐसे ही ‘‘सर्जिकल स्ट्राईक’’ के माध्यम से पाकिस्तान में घुसकर पकड़ने या मार गिराने के विकल्प हमारे पास ही रहेंगे।
हमें यह साबित करनें आवश्यकता ही क्या है कि हमने कोई कार्यवाही की है? हमें साबित करके कोई मेडल नहीं लेना और न ही किसी सर्टीफिकेट की आवश्यकता है। भारत की ताकत दुनिया जानती है, और देख भी रही है। यदी कोई आंख पर पट्टी बांधकर ये कहे कि मैंने तो कुछ देखा ही नहीं तो हम क्यूं उसकी पट्टी खोलते बैठे? वक्त का तकाजा तो यही है कि हम अपना काम करते रहे, और उनकी आंखो पर पट्टी बंधी रहने दे। जिस दिन काम खतम हो जायेगा पट्टी  अपने आप खुल जायेगी। रही बात हमारे देश के अंदर के जयचंदो की तो वो तो बाते करते रहेंगे। आप स्ट्राईक नहीं करते तो कहते है कुछ नहीं करते, कर दी तो सबूत मांगते है, सबूत दे दोगे तो कहेंगे कि स्ट्राईक क्यूं की?
लंका अभी राख हुई नहीं, रावण में जान अभी बाकी है। हनुमान जी को अभी न जाने कितने ही बार सीमाएं लांघनी है, लंका जलानी है, राक्षसों का नास करना है। 

 
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