हाल ही में एलन मस्क ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVMs) के उपयोग पर अपने विचार व्यक्त किए, जिसमें उन्होंने EVMs को खत्म करने की बात कही। उनका मानना है कि इन मशीनों में हैकिंग का जोखिम, चाहे इंसान द्वारा हो या AI द्वारा, छोटा ही सही लेकिन फिर भी मौजूद है। उन्होंने सुझाव दिया कि इस जोखिम को कम करने के लिए EVMs का उपयोग बंद कर देना चाहिए।हालांकि एलन ने ये बाते अमेरिका के विभिन्न राज्यों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली मसीनो पर कही लेकिन इस चर्चा ने EVMs की सुरक्षा और पारदर्शिता पर नई बहस छेड़ दी है, जिसमें दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी दृष्टिकोण से तर्क प्रस्तुत किए हैं। एलन के बयान का सबसे ज्यादा असर हमारे देश भारत मे ही हुआ है। ऐसे मे यह लेख उक्त बहस मे अवश्य ही तथ्यों को स्पष्ट करने मे मदद करेगा।
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) का उपयोग दुनिया भर में चुनाव प्रक्रिया को सरल, सुरक्षित और तेज़ बनाने के लिए किया जाता है। विभिन्न देशों में EVM की संरचना और डिज़ाइन में भिन्नताएं हैं, जिनमें भारतीय और अमेरिकी EVM प्रमुख उदाहरण हैं। जहां भारतीय EVM पूरी तरह से ऑफलाइन और VVPAT प्रणाली के साथ काम करती हैं, वहीं कई अमेरिकी EVM आंशिक रूप से इंटरनेट से जुड़ी होती हैं। इन अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोणों के बीच, एलन मस्क का बयान कि "EVM हैक हो सकती हैं" इस विषय को और भी चर्चा के केंद्र में ले आया है। इस लेख में, हम EVM की संरचना, सुरक्षा, पर्यावरणीय प्रभाव, और बेलेट पेपर आधारित चुनाव प्रणाली की वापसी के संभावित परिणामों का विश्लेषण करेंगे।
भारतीय और अमेरिकी EVM की संरचना और सुरक्षा
भारतीय EVM:
- ऑफलाइन डिज़ाइन: भारतीय EVM पूरी तरह से ऑफलाइन होती है, जिसका अर्थ है कि ये इंटरनेट से कनेक्ट नहीं होती। इससे रिमोट हैकिंग की संभावनाएं न के बराबर हो जाती हैं।
- डिवाइस संरचना: भारतीय EVM दो मुख्य यूनिट्स—वोटिंग यूनिट (VU) और कंट्रोल यूनिट (CU)—से मिलकर बनी होती है। मतदाता VU में बटन दबाते हैं और वोट CU में दर्ज होता है।
- VVPAT (Voter Verified Paper Audit Trail): VVPAT प्रत्येक वोट के लिए कागजी प्रमाण प्रदान करता है। यह मतदाता को आश्वस्त करता है कि उनका वोट सही ढंग से दर्ज हुआ है और किसी भी गड़बड़ी की स्थिति में ऑडिट का विकल्प उपलब्ध होता है।
अमेरिकी EVM:
- ऑनलाइन कनेक्टिविटी: कई अमेरिकी EVM इंटरनेट से आंशिक रूप से जुड़ी होती हैं, जिससे साइबर हमलों का जोखिम बढ़ता है। हालांकि, चुनाव से पहले और दौरान सख्त सुरक्षा उपाय किए जाते हैं।
- मल्टीपल सॉफ़्टवेयर लेयर्स: अमेरिकी EVM में विभिन्न सॉफ़्टवेयर लेयर्स होते हैं, जो उन्हें अधिक जटिल बनाते हैं और अतिरिक्त वेरिफिकेशन की आवश्यकता होती है।
- पेपर बैलेट विकल्प: अमेरिकी चुनावों में पेपर बैलेट का भी उपयोग होता है, जिससे चुनाव परिणाम की पुष्टि और ऑडिट में सहूलियत मिलती है।
एलन मस्क का बयान और उसका विश्लेषण
सबसे पहले तो एलन मस्क का यह बयान कि "EVM हैक हो सकती हैं" भारतीय नहीं बल्कि अमेरिकी EVM मशीन के बारे मे था। यह बयान तकनीकी रूप से सही हो सकता है, क्योंकि किसी भी डिजिटल डिवाइस को हैक करना संभव है। लेकिन भारतीय EVM के संदर्भ में इसे वास्तविकता में लागू करना काफी कठिन है:
- ऑफलाइन नेचर: भारतीय EVM के ऑफलाइन डिज़ाइन के कारण इन्हें रिमोटली हैक करना असंभव है। इसके लिए फिजिकल एक्सेस की आवश्यकता होगी, जो चुनाव के दौरान सख्त निगरानी के अधीन होती है।
- कई सुरक्षा परतें: भारतीय चुनाव आयोग द्वारा EVM की हैंडलिंग, ट्रांसपोर्ट, और स्टोरेज के दौरान कई स्तरों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है। इससे बाहरी व्यक्ति द्वारा हैकिंग की संभावना काफी कम हो जाती है।
EVM हैकिंग के खतरे और VVPAT का महत्व
अगर, किसी कारणवश, EVM से छेड़छाड़ की भी जाती है, तो VVPAT प्रणाली महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है:
- कागजी पर्ची का प्रमाण: VVPAT से हर वोटर को यह प्रमाण मिलता है कि उनका वोट सही जगह दर्ज हुआ है। अगर किसी मतदाता को गड़बड़ी लगती है, तो वह तुरंत आपत्ति दर्ज कर सकता है।
- ऑडिट और री-काउंटिंग: चुनाव के दौरान या उसके बाद, VVPAT पर्चियों का ऑडिट किया जा सकता है। अगर VVPAT पर्चियों और EVM में दर्ज वोटों की संख्या में अंतर पाया जाता है, तो पुनः मतगणना की जाती है।
EVM से चुनाव के पर्यावरणीय प्रभाव
EVM से चुनाव कराने के कुछ फायदे हैं, जिनका सीधा संबंध पर्यावरण से है:
- पेपर की बचत: EVM के उपयोग से मतपत्रों (बैलेट पेपर) की आवश्यकता समाप्त हो जाती है, जिससे पेड़ों की कटाई कम होती है और पर्यावरण की रक्षा में मदद मिलती है।
- कम ऊर्जा खपत: EVM को संचालित करने के लिए सीमित ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जबकि बैलेट पेपर के उत्पादन में जल और ऊर्जा की अधिक खपत होती है।
बैलेट पेपर आधारित चुनाव और पर्यावरणीय प्रभाव
अगर भारत में बैलेट पेपर पर वापसी होती है, तो इसके कई नकारात्मक पर्यावरणीय प्रभाव हो सकते हैं:
- पेपर की भारी खपत: भारत की विशाल जनसंख्या के कारण, करोड़ों बैलेट पेपर की छपाई के लिए भारी मात्रा में कागज की आवश्यकता होगी, जिससे लाखों पेड़ों की कटाई हो सकती है।
- ऊर्जा और जल की खपत: बैलेट पेपर उत्पादन में अधिक ऊर्जा और जल की खपत होती है, जिससे पर्यावरण पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।
- कचरे का प्रबंधन: चुनाव के बाद बैलेट पेपर का निस्तारण एक बड़ी चुनौती हो सकती है, क्योंकि इसका प्रबंधन समय और संसाधनों की मांग करता है।
समय और श्रम शक्ति की तुलना: EVM बनाम बैलेट पेपर
- गिनती का समय: EVM के उपयोग से वोटों की गिनती घंटों में की जा सकती है, जबकि बैलेट पेपर की मैन्युअल गिनती में कई दिन लग सकते हैं। इससे चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और त्वरितता आती है।
- श्रम शक्ति की आवश्यकता: बैलेट पेपर से चुनाव कराने पर बड़ी संख्या में कर्मचारियों की आवश्यकता होती है, जबकि EVM का उपयोग श्रम शक्ति की मांग को कम करता है।
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) ने भारत में चुनाव प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी, तेज़ और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाया है। हालांकि, EVM से जुड़े तकनीकी और सुरक्षा संबंधी सवालों को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता। VVPAT जैसी तकनीकें इन सवालों का प्रभावी समाधान देती हैं, जिससे EVM प्रणाली की विश्वसनीयता बढ़ती है। वहीं, बैलेट पेपर पर वापसी पर्यावरणीय दृष्टिकोण से चुनौतीपूर्ण होगी, क्योंकि इससे कागज की भारी खपत, पेड़ों की कटाई, और ऊर्जा की बढ़ती खपत जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। अतः, वर्तमान परिप्रेक्ष्य में, EVM का उपयोग भारत के लिए एक व्यवहारिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से टिकाऊ विकल्प साबित होता है।
Krishna Baraskar (Advocate) (DHN, BCA, LLB, M.Sc.-CS)
Mob: 9425007690, Email:- krishnabaraskar@gmail.com
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