छोटी सी शिक्षाप्रद कहानी:
रवि और मोहन बचपन के घनिष्ठ मित्र थे। रवि एक साधारण जीवन जीता था, लेकिन हमेशा संतुष्ट और खुश रहता था। दूसरी ओर, मोहन हमेशा अपनी आर्थिक और पारिवारिक परेशानियों के बारे में शिकायत करता रहता। वह नई-नई चीजों की खोज में इतना व्यस्त था कि अपने दोस्तों और परिवार के लिए समय निकालना भूल जाता था।
एक दिन, मोहन ने रवि से अपनी समस्याओं पर चर्चा की। रवि ने मुस्कुराते हुए कहा, "मोहन, तुम्हारे पास बहुत कुछ है, लेकिन तुम्हारी असंतुष्टि तुम्हें कभी चैन नहीं लेने देगी। जो तुम्हारे पास है, उसकी कद्र करो। खुश रहने के लिए भौतिक चीजों से ज्यादा आत्मिक संतोष जरूरी है।"
मोहन ने रवि की बातों पर विचार किया। उसने महसूस किया कि उसकी असली खुशी भौतिक चीजों में नहीं, बल्कि जीवन के छोटे-छोटे पलों में छिपी है। धीरे-धीरे, उसने संतोष और अपने प्रियजनों के साथ समय बिताने का महत्व समझा।
शिक्षा:
जीवन में संतोष और अपनों के साथ बिताया गया समय सबसे बड़ी संपत्ति है। असली खुशी भीतर से आती है, न कि बाहरी चीजों से।
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