‘‘सच्चाई-निर्भिकता, प्रेम-विनम्रता, विरोध-दबंगता, खुशी-दिल
से और विचार-स्वतंत्र अभिव्यक्त होने पर ही प्रभावी होते है’’
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कहानी: "संतोष का वरदान"

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कृष्णा बारस्कर: एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में एक व्यक्ति, मोहन, रहता था। मोहन को हमेशा बेहतर से बेहतर पाने की चाह रहती थी। उसने बचपन से यह सीखा था कि सफलता का मतलब है हर चीज़ में सर्वोत्तम हासिल करना। लेकिन इस चाह में, वह अपनी वर्तमान खुशियों को अनदेखा कर देता।

मोहन के पास एक सुंदर घर, हरा-भरा खेत, और एक खुशहाल परिवार था। लेकिन वह कभी संतुष्ट नहीं हुआ। वह हमेशा सोचता, "अगर मेरे पास बड़ा घर होता, तो मैं खुश होता। अगर मेरे खेत में और फसल होती, तो मेरा जीवन और बेहतर होता।"

एक दिन, मोहन को एक साधु मिला। साधु ने उसे चिंतित देखकर पूछा, "तुम्हारी परेशानी क्या है, बेटा?"

मोहन ने कहा, "बाबा, मैं अपने जीवन में कभी संतुष्ट नहीं हो पाता। मैं हमेशा बेहतर की तलाश में रहता हूँ, लेकिन खुशी कहीं नहीं मिलती।"

साधु ने मुस्कुराते हुए कहा, "तो क्या तुम मेरे साथ जंगल में चलोगे? मैं तुम्हें खुशी का रहस्य बताऊँगा।"

मोहन सहमत हो गया। वे दोनों जंगल की ओर चल पड़े। रास्ते में साधु ने एक पोटली दी और कहा, "इसमें कुछ अनमोल चीज़ें हैं। इसे संभालकर रखना।"

जंगल में चलते-चलते, मोहन का ध्यान पोटली पर गया। उसने सोचा, "इसमें क्या होगा? सोना, चाँदी, या हीरे?" उसने लालच में आकर पोटली खोल दी। लेकिन अंदर केवल कुछ बीज थे।

मोहन को निराशा हुई। उसने साधु से कहा, "बाबा, यह तो बस बीज हैं। इनसे मैं क्या करूँगा?"

साधु ने कहा, "इन बीजों को बोओ और देखो, यह तुम्हें क्या सिखाते हैं।"

मोहन ने बीज बो दिए। कुछ समय बाद, उन बीजों से पौधे उग आए। साधु ने कहा, "अब इन पौधों को रोज़ पानी दो और देखो।" मोहन ने ऐसा ही किया। धीरे-धीरे, पौधे बड़े पेड़ों में बदल गए और उन पर फल आने लगे।

साधु ने कहा, "देखो, खुशी का रहस्य यही है। जैसे इन बीजों को धैर्य, देखभाल और समय की जरूरत थी, वैसे ही तुम्हारे जीवन को भी है। अगर तुम अपने पास जो है, उसकी देखभाल करोगे और उसका आनंद लोगे, तो तुम्हें सच्चा संतोष मिलेगा।"

मोहन को समझ आ गया कि उसकी असंतुष्टि का कारण उसकी अस्थिर इच्छाएँ थीं। उसने अपने जीवन की ओर एक नई दृष्टि से देखना शुरू किया। उसने वर्तमान का आनंद लेना और छोटी-छोटी चीज़ों में खुशी ढूँढना सीखा। अब वह सचमुच संतुष्ट और खुशहाल था।

शिक्षा:

सच्चा सुख हमेशा अपने पास मौजूद चीज़ों की कद्र करने और वर्तमान में जीने से मिलता है। बेहतर की तलाश में अपनी शांति और खुशियों को अनदेखा न करें।

 
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