‘‘सच्चाई-निर्भिकता, प्रेम-विनम्रता, विरोध-दबंगता, खुशी-दिल
से और विचार-स्वतंत्र अभिव्यक्त होने पर ही प्रभावी होते है’’
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कहानी: अब कुंभ में बिछड़ते नहीं, मिलते हैं! धर्म और विज्ञान का अद्भुत मिलन!

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कृष्णा बारस्कर: हरिद्वार के महाकुंभ का मेला लगा हुआ था। लाखों की भीड़, चारों तरफ श्रद्धा और भक्ति का माहौल। इसी मेले में एक 12 साल का लड़का, रोहित, अपने परिवार से बिछड़ गया। रोहित घबराया हुआ इधर-उधर देख रहा था। तभी उसने देखा कि सामने एक बोर्ड पर लिखा था, "डिजिटल खोया-पाया केंद्र।"

रोहित को ज्यादा समझ नहीं आया, लेकिन वह साहस जुटाकर वहां चला गया। केंद्र में एक पुलिसवाला बैठा था, और उसके साथ बड़ी-बड़ी स्क्रीन लगी थीं। पुलिसवाले ने रोहित से पूछा, "बेटा, डरने की ज़रूरत नहीं है। तुम्हारे परिवार को ढूंढने में AI हमारी मदद करेगा।"

पुलिस ने रोहित की तस्वीर एक कैमरे में खींची और उसे तुरंत AI सिस्टम में अपलोड कर दिया। चंद सेकंड में एक जवाब आया—"रोहित का परिवार मेले के दूसरे छोर पर मौजूद है।"

रोहित को वहां ले जाने के लिए तुरंत पुलिस की गाड़ी तैयार की गई। जब रोहित अपने माता-पिता से मिला तो उसकी मां की आंखों में खुशी के आंसू थे।

इस घटना के बाद, रोहित के पिता ने कहा, "पहले के जमाने में लोग कहते थे कि कुंभ में बिछड़े लोग कभी नहीं मिलते। लेकिन अब, इस 'AI के जमाने' ने साबित कर दिया कि कुंभ में बिछड़े लोग कुंभ में ही मिल सकते हैं।"

तभी पास में खड़ा एक साधु मुस्कुराते हुए बोला, "भई, ये तो विज्ञान और श्रद्धा का संगम है।"

सीख:

तकनीक अगर सही दिशा में इस्तेमाल हो, तो बड़े से बड़े संकट को हल किया जा सकता है। आधुनिक युग की तकनीक और मानवता का मेल हमेशा चमत्कार करता है।

 
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